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कज़ाकिस्तान में प्रदर्शन: दर्जनों प्रदर्शनकारियों मारे गए, 12 पुलिस कर्मियों की मौत…

कज़ाकिस्तान में प्रदर्शन: दर्जनों प्रदर्शनकारियों मारे गए, 12 पुलिस कर्मियों की मौत

मॉस्को, 06 जनवरी। कज़ाकिस्तान में सरकारी इमारतों पर हमलों में दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए हैं और कम से कम 12 पुलिस अधिकारियों की मौत हुई है जिनमें से एक अधिकारी का सिर काट दिया गया है।

पुलिस की प्रवक्ता सल्तनत अज़ीरबेक ने सरकारी समाचार चैनल ‘खबर-24’ से बातचीत करते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े शहर अलमाती में रात में इमारतों में घुसने की कोशिश की गई है, इस दौरान कई हमलावरों को ढेर किया गया है।

उन्होंने कहा कि बुधवार को शहर में व्यापक प्रदर्शन के बाद इमारतों पर धावा बोलने के प्रयास किए गए, जिनमें महापौर की इमारत पर कब्जा करना शामिल है। इस इमारत में आग लगा दी गई।

‘खबर-24’ ने शहर कमांडेंट कार्यालय के हवाले से बृहस्पतिवार को बताया कि 12 पुलिस अधिकारियों की मौत के अलावा, 353 कानून प्रवर्तक अधिकारी जख्मी हुए हैं।

तीन दशक पहले स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कज़ाकिस्तान सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है।

रूस के नेतृत्व वाले गठबंधन ‘सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन’ (सीएसटीओ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव के अनुरोध पर कज़ाकिस्तान में शांति सैनिक भेजेगा। तरलीकृत पेट्रोलियम गैस ईंधन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि को लेकर रविवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कज़ाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया है। देश के पश्चिम में शुरू हुआ प्रदर्शन अलमाती और राजधानी नूर-सुल्तान तक फैल गया।

बुधवार को तोकायेव ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाने का संकल्प लिया था और पूरे देश में दो हफ्ते के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। इससे पहले यह सिर्फ राजधानी नूर सुल्तान और अलमाती में लागू था जिसके तहत रात में कर्फ्यू था और शहरी इलाकों में लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित थी। सरकार ने प्रदर्शनों को लेकर इस्तीफा दे दिया है।

तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का इस्तेमाल व्यापक तौर पर वाहन ईंधन के तौर पर किया जाता है। प्रदर्शन की तीव्रता देश में व्यापक असंतोष की ओर संकेत है। देश में 1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद से एक ही पार्टी की सरकार है।

तोकायेव ने दावा किया है कि इन प्रदर्शनों की अगुवाई आतंकवादी कर रहे हैं जिन्हें अज्ञात देशों से मदद मिल रही है।

कज़ाकिस्तान दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है। इसकी उत्तरी सीमा रूस से तो पूर्वी सीमा चीन से लगती है। देश में तेल के बड़े भंडार हैं जो इसे सामरिक और आर्थिक रूप से अहम बनाते हैं। इन भंडार और खनिज समृद्धि होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में गरीब लोगों की खराब हालात को लेकर असंतोष है।

ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई नेता या मांग नहीं है। कई प्रदर्शनकारियों ने ‘पुराने लोग जाओ’ के नारे लगाए जो जाहिर तौर पर देश के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबेयेव का हवाला दे रहे थे। उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका प्रभाव अब भी है।

प्रदर्शनों के नूर-सुल्तान और अलमाती तक पहुंचने के बाद सरकार ने इस्तीफे की घोषणा कर दी लेकिन तोकायेव ने कहा कि मंत्री नई कैबिनेट के गठन तक पद पर बने रहेंगे।

सियासी मीयर की रिपोर्ट