तालेबान को कोई इस्लामी समर्थन नहीं है…!

दुनिया भर में 57 इस्लामिक देशों ने विश्वभर में ये स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वो तालेबान की हिंसा व अत्याचारों के खिलाफ हैं। इस्लाम के नाम पर प्रशासन करने वाला तालेबान सिर्फ चीन, रूस व पाकिस्तान के भरोसों पर ही है। तालेबानी जो औरतों व बच्चों पर अत्याचारों के मामलों में बदनाम है दुनिया भर में मुस्लिम देशों की तरफ देख रहे हैं। पाकिस्तान भी र्सि और र्सि अफगानिस्तान के संसाधनों व अपने आर्थिक फायदों के लालच से तालेबान के साथ है। चीन व रूस भी अपने आर्थिक फायदे देख रहे हैं। दुनियाभर में इस्लाम के मानने वाले हों या इस्लामिक देश सभी हिंसा के खिलाफ हैं।
दुनियाभर के 62 प्रतिशत मुस्लिम आबादी भारत, बंगलादेश, तुर्की, इंडोनेशिया, पाकिस्तान आदि में हैं ये सभी के सभी तालेबान के खिलाफ हैं। विश्वभर में कोई भी इस्लामिक देश ऐसा नहीं है जो तालेबानों के किसी भी मुद्दे पर उन्हें समर्थन देने को तैयार हो फिर भी भारत के अतिवादी व हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद कर के वोट मांगने वाले लोग इस्लाम को हिंसा का समर्थक बताते आ रहे हैं व इसमें शामिल कुछ ऊंची जाति वाले ब्राम्हण लोग ही नफरतों को फैलाते देखे जा रहे हैं। अफगानिस्तान में तालेबानों से लड़ने वाले लोग भी मुस्लिम ही हैं ये पूरी दुनिया जानती है।
सऊदी अरब व यू.ए.ई. अमेरिका के पाले में शुरू से हैं। ये लोग अमेरिका की तालेबानों से दूरियाँ बनाते दिखाई दे रहे हैं पर अमेरिका का कोई भरोसा नहीं वो ईराक की तरह कभी भी झूठे आरोप लगाकर कभी भी किसी कमजोर मुल्क को तबाह करने का या उसे हड़पने का बहाना ढूँढता रहता है। 30 सालों तक तो अमेरिका वियतनाम पर हमले करता रहा है। तालेबानियों में भी कुछ अलग-अलग ग्रुप हैं। कुछ कम हिंसक हैं तो कुछ महज कुर्सी और सत्ता के लिये कभी भी कुछ करते आ रहे हैं। जैसे भारत में कांग्रेस व भा.ज.पा. हैं। तालेबानियों का चरित्र मानवता विरोधी है जिसे अब दुनिया ने खूब पहचान लिया है।
भारत में भी सत्ता दल कभी-कभी सियासी फायदों के लिये तालेबानियों जैसा बर्ताव दलितों व मुसलमानों के साथ करने लगते हैं। छुआछूत फैलाते व शांति भंग करने के लिये दलितों व मुस्लिम बस्तियों में ये लोग भगवा बिग्रेड की मदद से कट्टरता फैलाते देखे जाते हैं। दलित चिंतक कमल भारती अपनी ये बात तर्कों के आधार पर अपने व्याख्यानों में कहते सुने गये हैं। उनका दावा है कि लव जिहाद संघ परिवार दलितों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिये बनाया गया है जिससे वो गरीबों की बस्तियों में रहने वाले दलितों व मुस्लिमों में एकता व दोस्ती न बढ़ने लगे।
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