तालिबान कट्टरपंथियों ने अफगानिस्तान में पुराने दिनों की यादें ताजा कीं…

इस्लामाबाद, 29 मार्। तालिबान के कट्टरवादी अफगानिस्तान में पिछले कुछ दिनों से उन दमनकारी आदेशों की झड़ी लगा रहे हैं जो 1990 के दशक के आखिर में उनके कठोर शासन की याद दिलाते हैं।
लड़कियों को छठी कक्षा से आगे स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, महिलाओं के बिना पुरुष रिश्तेदार के अकेले विमान में चढ़ने पर रोक लगा दी गई है। पुरुष और महिलाएं केवल अलग-अलग दिनों में सार्वजनिक पार्कों में जा सकते हैं और विश्वविद्यालयों में मोबाइल फोन का उपयोग प्रतिबंधित है। यह सब यहीं खत्म नहीं होता।
अफगानिस्तान की दो भाषाओं-पश्तो और फारसी में बीबीसी सेवाएं समेत अंतरराष्ट्रीय मीडिया का प्रसारण सप्ताहांत में बंद कर दिया गया है। इसी तरह से विदेशी ड्रामा सीरीज का प्रसारण भी बंद कर दिया गया है।
अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो पीछे हट गए और तालिबान ने अगस्त 2021 के मध्य में देश पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता थी कि वे अफगानिस्तान में पूर्व में अपने शासन के दौरान लागू सख्त कानूनों को फिर से अमल में लाएंगे।
महिलाओं के अधिकारों पर हालिया हमला इस महीने की शुरुआत में हुआ, जब तालिबान सरकार छठी कक्षा के बाद लड़कियों को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने के अपने वादे से मुकर गई। विशेष रूप से तालिबान द्वारा ‘‘सभी जरूरी मुद्दों पर आश्वासन दिए जाने’’ के बावजूद इस कदम ने दुनिया के अधिकतर लोगों और अफगानिस्तान में कई लोगों को स्तब्ध कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रसारण पर प्रतिबंध को ‘‘अफगानिस्तान के लोगों के खिलाफ एक और दमनकारी कदम’’ बताया है। बीबीसी पश्तो सेवा की वेबसाइट ने कहा कि यह ‘‘अनिश्चितता और अशांति के समय में एक चिंताजनक घटनाक्रम है।’’
सियासी मियार की रिपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal