Sunday , September 22 2024

कश्मीर में आतंकी हमलों में मारे गए हिंदुओं को मोक्ष दिलाने के लिए काशी में किया गया त्रिपिंडी श्राद्ध,..

कश्मीर में आतंकी हमलों में मारे गए हिंदुओं को मोक्ष दिलाने के लिए काशी में किया गया त्रिपिंडी श्राद्ध,..

वाराणसी, 15 जून । कश्मीर में आतंकी हमलों में मारे गए हजारों हिन्दुओं, कश्मीरी पंडितों को मोक्ष दिलाने और उनकी आत्मा की शांति के लिए बुधवार को अनादि विमल तीर्थ पिशाचमोचन कुंड पर विशेष अनुष्ठान के बाद त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म किया गया।

सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दिन भर चलने वाले विशेष अनुष्ठान में फिल्म अभिनेता अनुपम खेर भी शामिल होंगे। देश के अलग अलग राज्यों से आए विद्वान और सन्त इस विशेष अनुष्ठान के साक्षी बने। इस अनुष्ठान में मारे गये कश्मीरी ब्राह्मणों के परिजन भी शामिल हुए।अनुष्ठान में संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा मुख्य जजमान रहे। काशी के विद्वान ब्राह्मणों के उपस्थिति में ये अनुष्ठान संपन्न हुआ।

इस अनुष्ठान का आचार्यत्व पण्डित श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु ने किया उनके साथ 11 ब्राह्मण भी इस अनुष्ठान में शामिल रहे। श्राद्धकर्ता डॉ. सन्तोष ओझा ने बताया कि कश्मीर में हुए नरसंहार न जाने कितने ऐसे परिवार थे जिनका श्राद्ध तक नहीं हुआ। सनातन धर्म के मान्यताओं के मुताबिक ऐसी अकाल मृत्यु के उपरांत मृतक आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए विशेष श्राद्ध अनिवार्य होता है। इसी के निमित शास्त्रोक्त विधि से पिशाच मोचन तीर्थ पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया गया है। पूरी दुनिया में काशी ही एक मात्र स्थान है जहां ये अनुष्ठान किया जाता है। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता भी है कि पिचाश मोचन पर इस अनुष्ठान से ऐसी अतृप्त आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है।

दिवंगत आत्माओं के मुक्ति का मार्ग होगा प्रशस्त

इस पूरे आयोजन में हरियाणा मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्या, ऑल इंडिया होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन नागराले और समाजसेवी अरविंद सिंह की विशेष उपस्थिति रही। सभी विशेष अतिथियों ने कश्मीर में मारे गए हिन्दुओं के आत्मा की शान्ति की प्रार्थना की और उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अमित आर्या ने कहा कि कश्मीर में जो कुछ भी हिन्दुओं के साथ 1990 के दशक से हुआ ये अनुष्ठान उन्ही दिवंगत आत्माओं के शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कश्मीर में 1990 के दशक से हिन्दुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के साथ नरसंहार की शुरुआत हुई थी। इसमें साल दर साल सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा गया। इस बीच लाखों कश्मीरी पंडितों ने अपनी पूर्वजों के करोड़ों की समाप्ति छोड़ रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हो गए। इन्हीं अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना ने यह विशेष अनुष्ठान किया ताकि उन आत्माओं को मुक्ति मिल सके।

इस आयोजन में पण्डित चन्द्रमौलि उपाध्याय, डॉ. सुभाष पांडेय, डॉ. विनय पांडेय, डॉ. टीपी चतुर्वेदी, डॉ. रितु गर्ग, डॉ. गिरीश चन्द्र तिवारी आदि की उपस्थिति रही।

सियासी मीयर की रिपोर्ट