समुद्र में हुए बजरा हादसे की जांच कर ओएनजीसी में जवाबदेही तय करें : संसदीय समिति..

नई दिल्ली, । संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार से 2021 में मुंबई तट से कुछ दूर हुई उस दुर्घटना को लेकर तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) में निष्पक्ष जांच शुरू करने और जवाबदेही तय करने की सिफारिश की है जिसमें 86 लोग मारे गए थे।
पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र 16-17 मई, 2021 के दौरान तौकते चक्रवात से प्रभावित हुआ था। 17 मई, 2021 को, एफकॉन्स कंपनी द्वारा ओएनजीसी के लिए किए जा रहे काम के मकसद से तैनात किया गया बजरा पी-305 चक्रवात की वजह से अनियंत्रित हो कर आगे बह गया और फिर एक प्लेटफॉर्म से टकरा गया। एफकॉन्स के बजरे पी-305 और एक टग बोट ‘वरप्रदा’ के डूबने से 86 लोगों की मौत हो गई।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने अपनी मार्च की रिपोर्ट में ओएनजीसी में सभी स्तरों पर जवाबदेही तय करने की सिफारिश की थी। समिति ने पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में एक बार फिर अपना रुख दोहराया।
इस रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘समिति इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस) मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट नहीं है कि मंत्रालय ने ओएनजीसी के स्पष्टीकरण पर पूरी तरह से भरोसा किया है। मंत्रालय ने बोर्ड स्तर सहित ओएनजीसी के अधिकारियों की चूक के लिए जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से स्वतंत्र जांच करने के वास्ते अपनी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की है।’’
इसके अनुसार, यह महसूस किया गया कि कॉर्पोरेट स्तर पर अगर तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्थिति का जिम्मा लिया होता, तो चक्रवात तौकते के कारण होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति का विचार है कि चक्रवात तौकते के दौरान अपतटीय क्षेत्र के पास हुई घटना के लिए जवाबदेही ओएनजीसी के शीर्ष स्तर के अधिकारियों की होनी चाहिए।’’
अपनी पिछली सिफारिश को दोहराते हुए, भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय ‘‘विभिन्न स्तरों पर ओएनजीसी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए निष्पक्ष तरीके से गहन जांच करे।’’
मंत्रालय ने समिति को बताया था कि अरब सागर में सभी बजरों को 13 मई, 2021 को आसन्न चक्रवात के कारण सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश दिया गया था। पापा-305 को छोड़कर सभी बजरे सुरक्षित जल क्षेत्र में चले गए थे।
समिति को मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि ‘‘कॉरपोरेट आपदा प्रबंधन योजना’’ (सीडीएमपी) को तुरंत सक्रिय कर दिया गया और कंपनी के पास चक्रवाती स्थितियों से निपटने के लिए प्रणाली तथा प्रक्रियाएं थीं।
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ओएनजीसी ने चक्रवात तौकते के दौरान हुए हादसे के बाद अपने पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। इनमें से तीन अधिकारी ई-9 यानी कार्यकारी निदेशक के स्तर के थे जो बोर्ड से नीचे का उच्चतम स्तर है।’’
मंत्रालय ने समिति को बताया, ‘‘एक कार्यकारी अधिकारी ई-7 स्तर (मुख्य महाप्रबंधक) का और एक ई-6 स्तर (महाप्रबंधक) का था। जांच के बाद सभी को बहाल कर दिया गया है।’’
समिति मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और इच्छा व्यक्त की कि “इस घटना में विभिन्न स्तरों पर, विशेष रूप से वरिष्ठ पदानुक्रम पर ओएनजीसी के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए निष्पक्ष तरीके से एक गहन जांच की जाए।’’
समिति चाहती थी कि कर्तव्य के प्रति लापरवाह पाए जाने वाले अधिकारियों की पहचान की जाए।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मंत्रालय जांच रिपोर्ट के साथ-साथ अधिकारियों की बहाली के कारणों को भी साझा कर सकता है । समिति को इस संबंध में की गई कार्रवाई से अवगत कराया जा सकता है।’’
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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