अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में तथ्य छिपाने के आरोप में एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया..

नई दिल्ली,। दिल्ली की एक अदालत ने सेना के एक अधिकारी को अपने व्यवसाय में निवेश करने के लिए प्रेरित कर उससे धोखाधड़ी करने के आरोपी व्यक्ति की जमानत यह कहते हुए नामंजूर कर दी कि उसने अंतरिम जमानत मांगते समय न्यायाधीश से ‘‘महत्वपूर्ण तथ्य’’ छिपाए थे।
विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने आरोपी ओमप्रकाश सांवरिया को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया, जो यह दावा करने के बाद अंतरिम जमानत हासिल करने में कामयाब रहा था कि उसने शिकायतकर्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जगदीप सिंह चड्ढा के साथ एक समझौता किया है और वह अधिकारी से प्राप्त राशि वापस कर देगा।
न्यायाधीश ने 15 दिसंबर को पारित एक आदेश में कहा कि पक्षों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ और आरोपी ने 45 दिन की अंतरिम जमानत हासिल करते हुए गलत दावा किया था। उन्होंने कहा, ‘महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने का तथ्य अपने आप में इस स्तर पर जमानत की राहत न देने का एक आधार है। इसलिए, जमानत अर्जी खारिज की जाती है।”
अभियोजन पक्ष के अनुसार, चड्ढा ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि दोनों कुछ दोस्तों के जरिए मिले थे। उन्होंने कहा कि सांवरिया ने खुद को इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री और खरीद में लगे एक व्यवसायी के रूप में पेश किया।
सांवरिया ने कथित रूप से आकर्षक सुनिश्चित ‘रिटर्न’ के वादे के साथ सेना अधिकारी को अपने व्यवसाय में निवेश करने का लालच दिया। चड्ढा ने आरोप लगाया कि उन्होंने शुरू में छोटी राशि का निवेश किया और आरोपी ने उनका विश्वास जीतने के लिए कुछ भुगतान किया। शिकायत में कहा गया है कि अधिकारी ने समय के साथ सांवरिया को लगभग एक करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन बाद में आरोपी ने वापस भुगतान करना बंद कर दिया।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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