हिन्दू धर्म के रक्षार्थ बलिदानी बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को नमन किया..

नई दिल्ली, । गुरू गोविंद सिंह जी के साहसी वीर साहिबजादों ने धर्म छोड़ने की बजाय बलिदान होने का मार्ग चुना। ऐसी वीर गाथा विश्व भर में अत्यंत्र कहीं भी नहीं देखने को मिली है।
यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट की ओर से आज अमर बलिदानी दो साहिबजादों के चित्रों पर मार्ल्यापण करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की गई। इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं के समक्ष फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री जय भगवान गोयल ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह के चारों लाड़ले क्रूर औरंगजेब के शासनकाल में अल्पायु में ही बलिदान को प्राप्त हुए। साहिबजादा जोरावर सिंह मात्र 9 साल व फतेह सिंह ने मात्र 7 वर्ष की आयु में धर्म परिवतन से स्पष्ट इनकार कर दिया जिसपर औरंगजेब के अत्याचारी सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया।
श्री गोयल ने कहा कि देश के विद्यार्थियों को ऐसे शूरवीरों की गाथा न पढ़ाकर मुगल बादशाहों का गुणगान करने के पाठयक्रम पढ़ाए जाते रहे है। बच्चे धर्म की रक्षा के लिए ऐसे महान बलिदान से प्रेरणा लेने से जानबूझ कर वंचित कर दिए गए। आज इस अवसर पर हम राजा तोडर मल को भी नमन करते है जिन्होंने दोनों साहबजादो और माता गुजरी के संस्कार के लिए उस वक्त 78 हजार मौहरे लगभग 780 किलों सोना वजीर खान को देकर बदले में संस्कार करने के लिए भूमि खरीदी थी।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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