कहानी : एक नया सवेरा.

हिम्मत सिंह को एक माह के बाद अचानक ही याद आया कि वह मोहरों की एक थैली उसी झोपड़े में जल्दबाजी में भूलकर आ गया है। यह ध्यान आते ही वह वापिस उस स्थान पर पहुँचता है और झोपडी में अंदर आते ही लड़की की माँ ने उसे पहचानते हुए कहा कि भईया बहुत अच्छा हुआ कि आप आ गये। आपकी मोहरों की थैली यही रह गयी थी। हमारे पास आपका कोई पता ठिकाना नहीं होने के कारण हम इसे आप तक भिजवाने में असमर्थ थे आपकी वह धरोहर मेरी बेटी कल्पना के पास सुरक्षित रखी है। उसकी बेटी ने आकर वह थैली वैसी की वैसी हिम्मत सिंह को सौंप दी। इस ईमानदारी से हिम्मत सिंह बहुत प्रभावित हुआ और उसने लड़की की सुंदरता, गुणों एवं उसके व्यवहार को देखते हुए अपने पुत्र का विवाह उससे करके उसे अपने घर की पुत्रवधू बना लिया।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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