चांदनी परिहार-
मैं कोई पूर्ण विराम नहीं।
सृष्टि सृजन करती लड़की हूं।।
पिंजरे में बंद पक्षी नहीं।
प्रजा की सोई अभिलाषा को।
आशा रूपी दीपक से जगा सकती हूं।
सत्ताधारियों के लिए दया, धर्म का संदेश हूं।।
मुझे साबित करने की जरूरत नहीं।
मैं निर्भर खुद में सम्पूर्ण हूँ।
अबला से सबला हुई है, आज अनेकों नारियां।
शीतल छाया की आशा हूं।
मनोहर प्रेम की परिभाषा हूं।।
नारियों की धैर्य सीमा और शुद्ध आत्मा से उठी पुकार हूं।
कभी ऊंची आवाज तो कभी, छोटे लिबास हूं।।
मैं कोई कठपुतली नहीं, सृष्टि की आवाज हूँ।
मैं जागृत चेतना हूँ, मैं नारी शक्ति हूं।।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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