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बच्चे का पढाई में मन न लगने का कारण कहीं उसका असंतुलित भोजन तो नहीं?

बच्चे का पढाई में मन न लगने का कारण कहीं उसका असंतुलित भोजन तो नहीं?

अगर आपके बच्चे का मन पढाई में न लगे। वह जल्दी थक जाये। एक काम से अगर जल्दी बोर हो जाये तो समझ जाएँ कि कोई गड़बड़ है उसे जो भोजन दिया जा रहा है क्या वह संतुलित है? कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके भोजन में उन पौष्टिक तत्वों की कमी है जो उसे उर्जावान बना सकें ? हालांकि बच्चों के माता-पिता इस बात को भली-भांति समझते हैं कि उनके बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिये उन्हें संतुलित आहार चाहिए। लेकिन तमाम माता-पिता ऐसे भी हैं जो इस बात को समझ नहीं पाते कि बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ाने और उन्हें ऊर्जावान बनाये रखने के लिये उनके भोजन में, किस उम्र में किन पौष्टिक तत्वों का होना जरूरी होता है?

दरअसल आपका बच्चा जो कुछ भी खाता है उसका असर उसके सीखने की क्षमता और उसके व्यवहार पर भी पड़ता है। उसके समुचित शारीरिक और मानसिक विकास के लिये उसके भोजन का निर्धारण उसकी उम्र ओर वजन के अनुसार करना चाहिए। इसके लिये सबसे पहले तो मां को बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसे अपना दूध पिलाना चाहिए। आपके बच्चे को ठोस आहार की शुरुवात करने के बाद के बाद भी यदि माँ का दूध मिलता रहता है तो इसका उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर पॉजिटिव असर पड़ता है। विभिन्न अध्ययन भी इस बात का खुलासा करते हैं कि बच्चे के जन्म के पहले दो सालों में उसके मष्तिष्क का तेजी से विकास होता है, इसलिये जन्म के बाद के पहले 1000 दिन उसके मानसिक विकास के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।

इस उम्र में ही उसके भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी होने की सबसे ज्यादा आशंका होती है। किशोरावस्था में भी बच्चे का भोजन ऐसा होना चाहिए जिससे उसका शारीरिक ओर मानसिक विकास सही ढंग से हो सके। उसके भोजन में वह सभी पौष्टिक तत्व शामिल होने चाहिए जिनसे उसमें एकाग्रता, सोचने, सीखने की क्षमता के साथ आत्म-अनुशासन की भावना विकसित हो सके। बच्चे के भोजन में इन तत्वों की कमी से उनकी कार्य -क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। आपको कब उसकी प्लेट में क्या रखना है,आपको इसका पूरा ज्ञान होना चाहिये क्योंकि इसके अभाव से उसके सीखने की क्षमता पर नकारत्मक असर पड़ता है। बच्चे की डाइट यदि उसकी उम्र और वजन के अनुकूल न हो तो उसके मस्तिष्क का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। यदि वह पढाई में कमजोर है,पढाई एर फोकस नहीं कर पाता है तो आपको सोचना है कि आखिर आपको अपने बच्चे की प्लेट में कब क्या रखना है?

ऐसी हो बच्चों की डाइट-
दूध ओर दूध से बने खाद्य पदार्थ – प्रोटीन बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिये जरूरी है। प्रोटीन बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिये उसे उर्जा देता है इसलिये उसके आहार में दूध ओर दूध से बने खाद्य पदार्थ शामिल करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां – पालक,मेथी,सरसों का साग ,धनिया,पोदीना जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों में अनेक पौष्टिक तत्व होते हैं। इनमें मौजूद खनिज तत्व,मस्तिष्क के विकास में सहायक होते हैं। हरी सब्ज़ियों में मौजूद विटामिन सी एक ऐसा एंटी – ओक्सिडेंट है जो हमारी कोशिकाओं के पुना।नर्माण में सहायक होता है। इनमें मौजूद आयरन उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है तथा यादाश्त बढ़ाने में सहायक होता है। आयरन एनीमिया से पीड़ित बच्चों के लिये तो फायदेमंद होता ही है यह उनकी कमजोरी और आलस को भी दूर करने में सहायक होता है।

दालें ओर मोटे अनाज – इनमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है। प्रोटीन और जिंक जैसे खनिज तत्व की मौजूदगी यादाश्त बढाने में सहायक होती है।

सूखे मेवे – काजू, अखरोट, बादाम ओर दूसरे सूखे मेवे खाने में तो स्वादिष्ट होते ही हैं, इसके अलावा ये ऐसे सुपर फूड्स हैं जिनमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो बच्चे में एकाग्रता को बढ़ाने के साथ-साथ बच्चे की सीखने की क्षमता में भी इजाफा करते हैं।

रसदार फल – रसदार फलों में मौजूद विटामिन सी एक पावरफुल एंटी ओक्सिडेंट है जो शरीर से टोक्सिंस को निकाल बाहर करता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है। भोजन को ज्यादा पकाने से इसमें मौजूद विटामिन सी नष्ट हो जाता है। इसलिये कच्ची सब्जियां और फल भी खाने चाहिये।

बीजों में छिपा है सेहत का खजाना – सूरजमुखी, कद्दू, खरबूजा, तरबूज के बीजों में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड और दूसरे प्रकार की वसा बच्चों के मानसिक विकास में सहायक होती है। इनमें मौजूद विटामिन ई ऐसा एंटी – ओक्सिडेंट है जो दूसरे टोक्सिंस से बच्चे को बचाते हैं।

सी फ़ूड -मछलीऔर दूसरे सी-फ़ूड में मौजूद प्रोटीन व ओमेगा 3 फैटी एसिड तथा आयोडीन एक ऐसा जरूरी तत्व है जो बच्चों के दिमाग के विकास में सहायक होता है। जबकि रेड मीट, अंडे, और अन्य एनिमल प्रोडक्ट्स में विटामिन बी-12 एक ऐसा तत्व है जो मष्तिष्क के विकास में सहायक होता है साथ ही दूसरे अन्य तत्वों को पचाने में सहायक होता है।

गौरतलब है कि विटामिन बी-12 की कमी से चिडचिडापन ओर डिप्रेशन हो सकता है। बच्चे सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी की भी चपेट में आ सकते हैं। शाकाहारी विटामिन बी-12 की प्राप्ति के लिये सोया मिल्क,यीस्ट ओर अंकुरित अनाज खा सकते हैं।

सियासी मियार की रपोर्ट