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बीरबल और भ्रष्टाचार

बीरबल और भ्रष्टाचार

बादशाह अकबर परेशान थे कि राज्य में भ्रष्टाचार फैलता ही जा रहा है। राज्य की सारी कमाई भ्रष्ट मंत्री और अफसर खा जाते हैं। जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है। दलाल संस्कृति, भंडारण की बाजीगरी, काली कमाई और मौन लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजधानी से चला हुआ पैसा गांवों तक जा ही नहीं पाता। ऐसे में बीरबल ही इस समस्या का समाधान निकाल सकता है। उसे बुलाना जरूरी है। उन्होंने, बीरबल को अपने विषेश मंत्रणा कक्ष में बुलाया-
-तुम तो जानते ही हो बीरबल कि राज्य में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। तुम्हीं कुछ कर सकते हो। मुझे किसी पर विश्वास नहीं रहा। अब जो करना है तुम्हीं करो।
-हुजूर, सबसे पहले तो मैं आपसे गुजारिष करूंगा कि इस लफड़े में न पड़ें। आपको गलतफहमी हो गई है। राज्य में भ्रष्टाचार नहीं है। भ्रष्टाचार में राज्य है। एक पत्ते को भी पकड़कर हिलायें तो पूरा राज्य हिलेगा। आपके दुष्मनों की संख्या बढ़ेगी। मंत्री से लेकर संत्री तक सभी नाराज हो जायेंगे फिर भी, जहांपनाह मैं कोषिष जरूर करूंगा। पूरे सूबे में यह बीमारी फैल चुकी है।
मैं समझता हूं कि हमें इसमें काफी पैसे खर्च करने पड़ेंगे। नीचे से ऊपर तक जांच करनी पड़ेगी। आदेषपाल से लेकर राजपाल तक, पता नहीं कौन-कौन दोशी है। हमें एक-एक विभाग को खंगालना पड़ेगा। यदि बीमारी को जड़ से ठीक करना है तो, कम से कम दो सौ करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
अकबर सोचने लगा। जो भी हो भ्रष्टाचार को तरजीह नहीं दी जा सकती। ये रकम……….दो सौ करोड़ तो कुछ ज्यादा ही हैं। यदि यही काम मेरा साला करे तो वह कम-से-कम में कर देगा। दूसरे मंत्री भी इसी ताक में रहते हैं कि काम को करने का मौका मिले। अपने विभाग का काम करें न करें लेकिन बीरबल के विभाग के काम को करने की इच्छा सबको रहती है। यह भी तो हो सकता है कि दूसरे माल लेकर हजम कर जायें। खाने को तो यह भी खा ही सकता है लेकिन विश्वास भी तो इसी पर करना होगा। उन्होंने मन ही मन हिसाब लगाया और बोले-
-ऐसा है बीरबल कि मैने हिसाब लगाया है केवल सौ करोड़ रुपये में भ्रष्टाचार दूर हो सकता है। यदि इतने में कर सकते हो तो मैं ऑर्डर निकलवा देता हूं। टोडरमल को बुलाना होगा। ऑफिस टाईम तो खत्म हो गया है। फंड तो वही इष्यु करेगा।
-ठीक है महाराज तो आप स्वयं ही भ्रष्टाचार को खत्म कर लीजिये। इतने कम पैसे में मैं भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर सकता। सदियों से जमी बीमारी है। आप चाहते हैं कि सवा सेर कोदो में खत्म हो जाये। सोच लीजिये। आपका मन बने तो मुझे ऑडर्र दिला दिजिये। टोडरमल तो, मेरे नाम पर नाटक करेगा। उसे मेरे बिल पास करने में नाटक करने की आदत है। आपने भी तो उसको सर पर बिठा रखा है।
-वह भी यही कहता है।
-अच्छा और क्या-क्या कहता है -राजा टोडरमल। …आप सुनते हैं।
अकबर, इनकी आपसी लड़ाई के बारे में नहीं भ्रष्टाचार के बारे में सोच रहा था। उसने ऑडर्र निकलवा दिया कि भ्रष्टाचार से लड़ने के मद में राजा बीरबल को दो सौ करोड़ रुपये शाही खजाने से निर्गत किये जायें लेकिन समय-समय पर कार्य के प्रगति की रिर्पार्ट लगाने के बाद ही भुगतान किये जायेंगे।
बीरबल ने एक एक्षन प्लॉन बनाया। उसने सबसे पहले अपने विभाग के सचिवों की मीटिंग ली –
-आज देष में सबसे बड़ी समस्या है भ्रष्टाचार। देष को दीमक की तरह अंदर से भ्रष्टाचार खा रहा है। देष है तो हम हैं। आप सब काबिल अफसर हैं। आपलोगों को शाही खजाने से वेतन इस बात के लिए नहीं मिलता कि आप हाथ पर हाथ रख कर बैंठें। आप लोग पंद्रह दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सबमिट कीजिये कि सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार को कैसे दूर किया जाये। यदि ऐसा नहीं हो सका तो उसके बाद जितने अधिक दिन लगेंगे।
उतने दिनों का वेतन कटेगा। जनता में यह संदेष जा रहा है कि सरकार लापरवाह है जबकि सरकार की आंख और कान तो आपलोग ही हैं।
सारे अधिकरियों ने मनोयोग से अपने-अपने फाइलों में मंत्री जी की बातों को नोट किया जिसे मीटिंग खत्म होने के बाद फाड़कर फेंक दिया गया। मंत्री जी खुष थे कि उनकी एक-एक बात अफसरों ने नोट की। अधिकारियों ने तुरंत प्रभाव से पचास करोड़ के फंड की मांग की जो स्टडी के लिए चाहिए थी। पंद्रह दिन में चूंकि रिपोर्ट तैयार करनी है तो अधिक रकम चाहिए लेकिन इतने में ही विभाग मैनेज कर लेगा। यदि उससे अधिक की जरूरत पड़ेगी तो अपने संसाधनों से काम लेगा। फाइल वित्त विभाग के पास चली गई। बीरबल ने अगली मीटिंग की टोडरमल जी के साथ। टोडरमल जी के ही विभाग मे मीटिंग का आयोजन किया गया।
-टोडरमल जी आप एक योग्य वित्त मंत्री हैं लेकिन अभी तक भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाया जा सका है। इस बार महाराज ने यह जिम्मेवारी गृहविभाग को सौंपी है कि भ्रष्टाचार की गहराई से पड़ताल की जाये और उसे खत्म किया जाये।
-यानी वित्त विभाग वाले काम भी अब गृह मंत्रालय ही करेगा। अच्छा है, कोई काम तो हो आपके विभाग से। राज में कानून की स्थिति से तो सब वाकिफ हैं। चोर-उचक्के तक आपके पुलिस से नहीं डरते। जेब कतरे चुनौती देते हैं। आप लोग भ्रष्टाचार की जड़ में जायेंगे!!
-सबकी जड़ में भ्रष्टाचार है जिसके मूल में वित्त विभाग है। उसके सिरमौर आप हैं। आदमी को जब बैठे-बिठाये वेतन मिल जाये तो हाथ-पांव हिलाने की क्या जरूरत है?
-आप मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। बादशाह के करीबी हैं इसका मतलब यह नहीं कि आप किसीको कुछ भी कह दें।
मींटंग बर्खाष्त हो गइ्र्र। मीडिया को ब्रीफ किया गया कि वित्त मंत्रालय ने आवष्यक कार्यवाही के निर्देष दिये है। षीघ््रा ही परिणाम नजर आने लगेंगे। टोडरमल ने अपने अपमान को बीरबल की मनमानी के रूप में लिया। मानसिंह से मिलने गये।
-मानसिंह जी मैं कहता हूं कि इस राज में किसीकी प्रतिश्ठा सुरक्षित नहीं है। बीरबल के पंख नहीं कतरे गये तो यह किसी को चैन से रहने नहीं देगा। बादशाह के कान भरता रहता है। भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर दो सौ करोड़ की राषि पर हाथ साफ करेगा। आप तो एक योग्य सेनापति हैं। उसे रोकिये। मैं तो बुजुर्ग होने के नाते आगाह ही कर सकता हूं।
मानसिंह लड़ना जानते थे। लड़ाना उनके वष की बात नहीं थी। उनकी समझ में यह बात नहीं आई कि भ्रष्टाचार से यदि बीरबल लड़ रहे हैं तो इससे टोडरमल क्यों परेशान हैं। उन्होंने बीरबल को फोन लगाया
-हेला! नमस्कार….नमस्कार। और बताइये क्या चल रहा है? ठीक हैं…..। आपके दर्षन कब हो रहे हैं। ………..नहीं, कल तो मैं जयपुर जा रहा हूं। ….दस दिनों के बाद ही आ पाऊंगा। ……..आज …..ठीक है रात का खाना मेरे यहां ही रहा।
टोडरमल संतुश्ट होकर चले गये। मानसिंह और बीरबल की भेंट भी सौहर्द्रपूर्ण रही। बीरबल ने उन्हें अपना एक्षन प्लॉन समझाया कि देष में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार अफसरों के स्तर पर है। अफसर आम आदमी से अधिक उगाही करते हैं। उगाही करने की मजबूरी भी है। उगाही न करें तो क्या करें? उनको अपने ऊपर वालों को डाली देनी है। ऊपर वाले कौन? मंत्री अर्थात हम और आप। अब, साहब अफसरों के अंदर के भ्रष्टाचार को दूर करने का अर्थ है। हमारा सुधर जाना। यही बात टोडरमल जी को समझाया गया तो पर्सनल ले रहे हैं। उनको लग रहा है कि उनके नाम पर कीचड़ उछाला जा रहा है।
मानसिंह खुष हो गये। उन्हें टोडरमल से बेहतर बताया गया। टोडरमल में खानदानी खून कहां है। यहां तो सात पीढ़ियों से राजा रहते आये है। हम जितना दान कर देते थे उतनी तो टोडरमल की पगार भी नहीं है।
-बीरबल जी आप तो बुद्धिमान आदमी हैं। मंत्री यदि सुधर जाये तो राज में कौन सा विभाग है जो भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करेगा। यहां तो कुंये में ही भंग पड़ी है। आप चिंता मत कीजिये टोडरमल जी मेरे पास भी आये थे। आपके खिलाफ आग उगल रहे थे। मैने भी ऐसी-ऐसी सुना दी कि उल्टे बांस बरेली को लद गये। भागे पनही हाथ में ले के।
दोनों लोगों का सम्मिलित ठहाका गूंजा। उधर कमिष्नरी में हड़कंप मचा था। सचिवों ने कमिष्नरों की मीटिंग ली। उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी किस्म की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। भ्रष्टाचार करने का अर्थ है……देशद्रोह। देशद्रोह करने वाले अफसर अपने पद पर बने नहीं रह सकते। गंभीरतपूर्वक मीटिंग चली। खाने-पीने का पुख्ता प्रबंध था। मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के व्यंजन लजीज थे। हार्ड और साफ्ट ड्रींक की भी व्यवस्था थी। कुल मिलाकर मीटिंग सफल रही। माइन्युट पर सबके हस्ताक्षर लिए गये। कल्कटर लेवल पर भ्रष्टाचार से लड़ने की योजना बनी। सबसे पहले तो जितने भी कालाबाजारी, बिचैलिये, और दलाल हैं। उन्हें धर दबोचा जाये।
दूसरे दिन से कार्यवाही शुरू हो गई। दनादन छापे पड़ने लगे। अभी, दो-चार ही धंधेबाज पकड़े गये थे कि मुंह लटकाये मियां तानसेन जा पहुंचे रहीम खानखाना के पास। लटकाये-लटकाये ही बोले-
-आपको तो गीत-गजल लिखने से फुर्सत ही नहीं मिलती। सर पर आसमान टूट जाये आपकी बला से। बहुत हुआ तो कोई जंग लड़ आयेंगे। दुनिया जहान की तो कोई खबर ही नहीं रहती आपको। खैर, जब अपना बादशाह ही अपना नहीं है तो दूसरे क्या कर सकते हैं।
-क्या हुआ आज राग मल्हार की जगह भैरवी क्यों गाने लगे?
-आपको क्या पड़ी है। राजा बीरबल के कहने पर एक-एक मुसलमान व्यापारी पकड़े जा रहे हैं। एक शिष्टमंडल मिलने आया था। हमने उन्हें तसल्ली दी कि रहीम साहब से बात करेगे। आपकी बात तो फिर भी सुनी जाती है। गवैये-बजवैये की कौन सुनेगा? हिंदू मंत्रियों ने हमारे खिलाफ पहले से ही साजिष रच रखी है।
-ये क्या बोले जा रहे हैं आप। मुझे भी इल्म है कि मियां बीरबल को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फरमान हुआ है। वही कर रहे हैं। इसमें हिंदू और मुसलमान कहां से आ गये। आप तो ख्वामखाह …………………।
मियां तानसेन तो उठकर चले गये लेकिन यही खबर उन्होंने मुल्ला दो प्याज के पास भी पहुंचा दी। दोनों उतावले से हो रहे थे। बादशाह के कानों तक ये बात किसी तरह से पहुंचा दी जाये। उधर बीरबल के पास एक शिष्टमंडल पहुंचा –राजा बीरबल, आप तो न्याय और नेकी के दूत हैं। आपकी जानकारी में केवल दलित व्यपरियों की दुकानों पर छापे पड़ रहे हैं। सवर्ण दुकानदारों को छोड़ा जा रहा है। आपको ही भ्रष्टाचार उन्मुलन का ठेका दिया गया था। आप भी ………………।
-आपलोग जो कह रहे हैं वह निरर्थक है। कोरा बकवास है। ऐसी कोई बात नहीं है। भ्रष्ट व्यापारियों के घर छापे मारे जा रहे हैं। उनके धर्म और जाति की जानकारी अफसरों को नहीं दी जा रही।
-हमें भी पता है कि किसके इषारे पर सारे काम किये जा रहे हैं। कौन है जो थैली पहुंचा रहा है। यदि आपने इसे बंद नहीं किया तो राज-व्यापी आंदोलन किये जायेंगे।
एक व्यापारी ने तैष में आकर कहा। इस शिष्टमंडल को गये अभी मुष्किल से एक घंटा भी नहीं हुआ था कि दूसरा आ गया। चंदन-टीका लगाये। हाथ में रुद्राक्ष लिए पंडित जी ने आगे बढ़ते हुये कहा-
-आप के रहते मलेच्छों का अत्याचार बढ़ रहा है। आप मूकदर्षक बने देख रहे हैं। षूद्र राज कर रहे हैं। ठीक ही कहा जाता था कि तीन कोस पर दिया जलेगा और षूद्र राज करेंगे। उनको तो कोई कुछ कहेगा नहीं। हमारे पेट पर लात मारी जा रही है। हम अनाथ हैं। हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है।
दूसरे दिन बादशाह जब झरोखा दर्षन के लिए आये तो नारे लगाये जा रहे थे। मीडिया वाले कैमरे को बंदूक की तरह ताने खड़े थे। बादशाह को देखते ही उन्होंने सवाल दागने शुरू कर दिये-
-बादशाह सलामत, क्या यह सही है कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में किसी खास धर्म या जाति को ही निशाना बनाया जा रहा है।
-महाराज! क्या यह सही नहीं है कि आप हिंदू विरोधी मानसिकता के षिकार हो गये हैं।
-आपके आलोचकों का कहना है कि आप अपने दरबार के चंद दरबारियों के हाथ की कठपुतली बनकर रह गये हैं?
सुनते-सुनते बादशाह का माथा चक्कर खाने लगा। उन्होंन तुरंत झरोखा दर्षन का कार्यक्रम स्थगित किया और दीवाने-खास में बीरबल को बुलाया।
-बीरबल, यह क्या चल रहा है राज्य में। मैं परेशान हो गया। ये मीडिया वाले अनाप-सनाप बके जा रहे हैं। तुम क्या करवा रहे हो?
-हुजूर मैने तो अभी केवल शुरूआती कोषिषें ही की हैं। ये सारी बौखलाहट ही बता रही है कि भ्रष्टाचार की जड़ें किस गहराई तक जमी हुई हैं। अब आप या तो इन सारे प्रष्नों का सामना करें या भ्रष्टाचार का। मीडिया को अपनी टी आर पी से मतलब है।
उन्हें किसी ने बता दिया कि धर्म और जाति को निशाना बनाया जा रहा है तो कूदने लगे। उन्हें हकीकत से क्या लेना देना? पूरब को पूरब कहना न्यूज नहीं है महाराज। पूरब को पष्चिम कहना न्यूज है। अभी तो केवल दो चार जगहों पर ही छापे पड़े हैं। छोटे-छोटे मेढ़क ही पकड़े गये हैं। असली घड़ियाल तो अभी कीचड के अंदर छिपे पड़े हैं। आप बतायें कि हम क्या करें। आगे बढ़े या …………..।
-हम समझते है कि इस मुहिम को कुछ दिनों तक स्थगित कर दीजिये। मंत्रियों का एक समूह भी हमसे मिलने आया था। उनके दिमाग में भी तरह-तरह की षंकायें हैं। ऐसा न हो कि हम गृहकलह के षिकार हो जायें।
-जी जहांपनाह, जैसी आपकी आज्ञा। जो राषि खर्च हो गई है। उसका………।
-उसको किसी और फंड में दिखा दो।

सियासी मियार की रीपोर्ट