मानसून के साथ डेंगू की दस्तक, बच्चों का रखे विशेष ख्याल..

मानसून के साथ डेंगू भी दस्तक देता है, क्योंकि डेंगू मच्छर जनित बीमारी है और बारिश का मौसम मच्छरों के लिए अनुकूल होता है। लिहाजा मानसून में डेंगू मच्छरों से बचाव आवश्यक हो गया है। डॉ. जकी अहमद ने कहा कि रात को बिस्तर पर मच्छरदानी लगाने से डेंगू से बचाव नहीं होता, क्योंकि मच्छर सबसे ज्यादा दिन में सक्रिय होते हैं। उन्होंने कहा, दिन में अच्छी तरह से सील बंद या वातानुकूलित कमरों में रहने से डेंगू से बचा जा सकता है। अगर बाहर जाना है तो पूरी बाजू के कपड़े पहनें और एन, एन-डाइथायल-मेटाटोल्यूमाइड जैसी असरदार मच्छर प्रतिरोधक दवा का इस्तेमाल करें।
डॉ. जकी अहमद ने कहा, अचानक प्लाज्मा लीकेज होने से समस्या हो सकती है। इसलिए ज्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही हो जानी चाहिए। डॉ. अहमद के अनुसार, सबसे ज्यादा शॉक का खतरा बीमारी के तीसरे से सांतवें दिन में होता है। यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है। प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है। उन्होंने कहा कि पेट में तीव्र दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाईपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर, जैसे कि मानसिक भटकाव जैसे लक्षण कुछ मरीजों में देखे जाते हैं।
डॉ. जकी अहमद के अनुसार, इसमें हमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत है कि प्लाज्मा लीकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा को दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि गंभीर थ्रोमबॉक्टोपेनिया (100, 000 प्रति एमएम से कम) डेंगू हेमोर्हेगिक बुखार का मापदंड है और अक्सर प्लाज्मा लीकेज के बाद होता है। डॉ. अहमद ने कहा कि सीरम ट्रांसमाईनज में हल्की-सी वृद्धि होना डेंगू बुखार और डेंगू हेमोर्हेगिक बुखार में आम बात है। लेकिन पहले से दर्ज बुखार की तुलना में इन दोनों में बुखार का स्तर काफी ज्यादा होता है।
जिन मरीजों में यह लक्षण न मिले, अगर उनका बराबर ध्यान रखा जाए तो सुरक्षित तरीके से ओपीडी में इलाज किया जा सकता है। इसके लिए हर रोज रक्तचाप, हमेटोक्रिट और प्लेटलेट्स की संख्या का ओपीडी में चैकअप करवाना आवश्यक होता है। लेकिन निम्नलिखित लक्षणों की मौजूदगी में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी हो जाता है…
-ब्लड प्रैशर 90 और 60 प्रति एमएमएचजी से कम हो।
-हमेटोक्रिट 50 प्रतिशत से कम हो।
-प्लेटलेट्स संख्या 50000 प्रति एमएम3 से कम हो।
-पेटेचेयाई के अलावा ब्लीडिंग के प्रमाण मौजूद हों।
सियासी मियार की रीपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal