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पुनर्चक्रण उद्योग निकाय ने एल्युमीनियम कबाड़ आयात पर शून्य शुल्क की मांग की..

पुनर्चक्रण उद्योग निकाय ने एल्युमीनियम कबाड़ आयात पर शून्य शुल्क की मांग की..

नई दिल्ली, 18 जुलाई बजट से पहले पुनर्चक्रण उद्योग निकाय एआई ने सरकार से एल्युमीनियम कबाड़ पर आयात शुल्क हटाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे उद्योग में स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

‘मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (एमआरएआई) के अनुसार, एल्युमीनियम कबाड़ (स्क्रैप) की पुनर्चक्रण प्रक्रिया से प्रति टन उत्पादन पर केवल तीन लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जबकि स्मेल्टर के जरिये एक मीट्रिक टन एल्युमीनियम के उत्पादन पर 14 टन कार्बन उत्सर्जन होता है। इसमें बिजली आपूर्ति के लिए कोयला आधारित क्षमता बनाए रखना शामिल है।

एआई ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘‘भारतीय एल्युमीनियम पुनर्चक्रण उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौती एल्युमीनियम कबाड़ पर 2.5 प्रतिशत आयात शुल्क है। यह एल्युमीनियम पुनर्चक्रण के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है और सरकार को इसे तब तक शून्य करना चाहिए जब तक कि घरेलू बाजार में गुणवत्तापूर्ण सामग्री (कबड़ा) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न हो जाए।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। कई देशों ने कबाड़ (स्क्रैप) के महत्व को समझा कि यह प्रकृति में पुनर्चक्रणीय होने के कारण सतत है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की अनुमानित उच्च वृद्धि तथा महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे के विकास के कारण अगले कुछ वर्षों में एल्यूमीनियम की मांग काफी अधिक होने वाली है।

एआई ने कहा, ‘‘भारत में एल्युमीनियम उत्पादन में एल्युमीनियम पुनर्चक्रण एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, क्योंकि इसमें प्राथमिक एल्युमीनियम के उत्पादन की तुलना में बहुत कम ऊर्जा की जरूरत होती है।’’ एआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धवल शाह ने कहा, ‘‘एल्युमीनियम कबाड़ पर आयात शुल्क लगाना प्रतिगामी हो सकता है और इससे सतत लक्ष्यों तक पहुंचने के हमारे प्रयासों में कमी आएगी।’’ निकाय ने तांबा तथा पीतल कबाड़ पर भी शून्य शुल्क की मांग की है, जिन पर वर्तमान में 2.5 प्रतिशत शुल्क लगता है। जस्ता तथा सीसा पर पांच प्रतिशत आयात शुल्क है।

सियासी मियार की रीपोर्ट