हसीना ने की बंगलादेश में हत्याओं, बर्बरता घटनाओं की जांच की मांग..

ढाका, 14 अगस्त। बंगलादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने “आंदोलन के नाम पर” की गई हत्याओं, बर्बरता और आगजनी की जांच की मांग की। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश से पलायन करने के आठ दिन बाद सुश्री हसीना ने यह भी मांग की कि अशांति के लिए जिम्मेदार अपराधियों की पहचान की जाए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाए।
द डेली स्टार ने रिपोर्ट के मुताबिक सुश्री हसीना ने यह बयान फेसबुक पर जारी किया है, जिसे उनके पुत्र सजीब वाजेद जॉय द्वारा सत्यापित किया गया है।
गौरतलब है कि बंगलादेश में शेख हसीना की सरकार को गत 05 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में हुए उग्र प्रदर्शन के चलते गिर गयी थी। यह आंदोलन जून में सरकारी सिविल सेवा में नौकरी कोटा (आरक्षण) को समाप्त करने और भर्तियों को योग्यता आधारित बनाने की मांग को लेकर शुरू हुआ था। कोटा विरोधी आंदोलन के दौरान व्यापक हिंसा और झड़पों के बाद विद्यार्थियों ने सुश्री हसीना के इस्तीफे की अपनी एक-सूत्री मांग पर जोर दिया, जिसके कारण अंततः हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार गिर गई। सुश्री हसीना ने कहा, “जुलाई से लेकर अब तक विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा और आगजनी में कई लोगों की जान जा चुकी है।” उन्होंने विद्यार्थियों, शिक्षकों, पुलिस, पत्रकारों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और “एक गर्भवती महिला पुलिसकर्मी” सहित हिंसा के शिकार हुए अन्य लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया है।
बंगलादेशी अखबार प्रोथोम एलो की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों के सदस्यों, पैदल यात्रियों और विभिन्न पेशेवरों के प्रति भी अपनी संवेदना व्यक्त की, जो 16 जुलाई से 11 अगस्त के बीच हुई हिंसा में मारे गए हैं। इस दौरान बंगलादेश में कम से कम 580 लोगों की जान चली गई हैं।
उन्होंने 15 अगस्त, 1975 की हत्याओं को भी याद किया, जब उनके पिता एवं बंगलादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।बंगबंधु की सबसे बड़ी पुत्री हसीना ने बंगबंधु स्मारक संग्रहालय में लूटपाट, बर्बरता और आगजनी पर “दुख” व्यक्त किया और देश के लोगों से न्याय की मांग की।
उन्होंने लोगों से 15 अगस्त को बंगबंधु भवन में पुष्पांजलि अर्पित करके और प्रार्थना करके राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित तरीके से मनाने का आह्वान किया है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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