संरा मानवाधिकार प्रमुख ने संघर्ष के कारण फंसे म्यांमा के रोहिंग्या नागरिकों को लेकर चिंता जताई…

बैंकॉक, 25 अगस्त । म्यांमा में सैन्य सरकार और सशस्त्र जातीय विद्रोही समूह अराकान सेना के बीच हालिया संघर्ष में कई लोगों के मारे जाने की खबर के बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लेकर शुक्रवार को चिंता जताई।
संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा स्थित कार्यालय के एक बयान के अनुसार, मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने ‘‘पूरे म्यांमा में, विशेष रूप से रखाइन राज्य में तेजी से बिगड़ती स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की, जहां संघर्ष के बीच वहां से भागने की कोशिश के दौरान सैकड़ों नागरिक कथित तौर पर मारे गए हैं।’’
बयान के अनुसार, एजेंसी ने इस संबंध में दस्तावेजीकरण किया है कि ‘‘सेना और रखाइन के अधिकतर हिस्सों को नियंत्रित करने वाली अराकान सेना ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिया और दुर्व्यवहार किया जिसमें अपहरण, जबरन भर्ती, ड्रोन एवं तोपखाने का उपयोग करके कस्बों और गांवों पर अंधाधुंध बमबारी, आगजनी और न्यायेतर हत्याओं की घटनाएं शामिल हैं जिनमें से कुछ लोगों की हत्या उनका सिर काटकर की गई।’’
बयान में बांग्लादेश की सीमा से लगी नदी के पास पांच अगस्त को हुए हमले का हवाला दिया गया, जब हमलों में ‘‘कथित रूप से दर्जनों लोग मारे गए थे’’, लेकिन उसने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार कौन था।
लोकतंत्र समर्थक गुरिल्ला और अराकान सेना सहित जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र बल देश के सैन्य शासकों को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सेना ने 2021 में आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार से सत्ता छीन ली थी।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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