विलुप्त लोक कलाओं पर नेशनल फॉक फेस्टिवल का आयोजन..

उदयपुर, 03 अक्टूबर राजस्थान के उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से विलुप्त लोक कलाओं पर संभाग स्तरीय नेशनल फॉक फेस्टिवल का आयोजन शिल्पग्राम में किया गया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा विलुप्त हो रही कलाओं के संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों के तहत बुधवार को शिल्पग्राम के बंजारा रंगमंच में विलुप्त कलाओं पर नेशनल फॉक फेस्टिवल (विलुप्त लोक एवं जनजातिय कला महोत्सव) का आयोजन किया गया। इसमें विलुप्त होती कला जोगी गायन गलालेंग जो कि राजस्थान की लोककला-लोकगाथा है, वागड़ से आए केवलनाथ द्वारा प्रस्तुत किया गया। उसके बाद तुर्रा कलंगी पर चित्तौड़ से लक्ष्मी नारायण रावल ने राजस्थान की 500 वर्ष पुरानी लोक कला पर शिव शक्ति की आराधना स्वरूप प्रस्तुति दी।
उन्होंने बताया कि उसके बाद बाड़मेर एवं जैसलमेर से आए कोहिनूर मांगणियार दल द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई। उसके बाद अनीता छाबड़ा द्वारा चकरी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गवरी की प्रस्तुति गोगुंदा से आए केसुलाल एवं दल द्वारा दी गई। अंत में छोटा उदेपुर गुजरात से आए कंचन राठवा ने राठवा नृत्य प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व दिन में साथ ही कावड़ कला के बारे में बाल कृष्ण बिसायती द्वारा प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया गया। मोलेला कला के बारे में घासीराम ने चाक पर मिट्टी से दीए, बर्तन आदि सामग्री बनाना सिखाया। सांझी कला के बारे में रेणु माली ने गोबर से पारंपरिक तरीके से सांझी बनाने की विधि बताई। कला जिज्ञासुओं ने शिल्पग्राम में आकर कलाकारों के साथ बातचीत कर इस कला के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त की तथा स्वयं उस कलाकारी को करके इसकी बारिकियां जानी।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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