Sunday , November 23 2025

मर जाता है वह शनैः शनैः…

मर जाता है वह शनैः शनैः…

-पाब्लो नरूदा-
(अनुवाद: प्रतिभा उपाध्याय)

मर जाता है वह शनैः शनैः
करता नहीं जो कोई यात्रा
पढ़ता नहीं जो कुछ भी
सुनता नहीं जो संगीत
हंस नहीं सकता जो खुद पर
मर जाता है वह शनैः शनैः
नष्ट कर देता है जो खुद अपना प्यार
छोड़ देता है जो मदद करना।
मर जाता है वह शनैः शनैः
बन जाता है जो आदतों का दास
चलते हुए रोज एक ही लीक पर
बदलता नहीं जो अपनी दिनचर्या
नहीं उठाता जोखिम जो पहनने का नया रंग
नहीं करता जो बात अजनबियों से।
मर जाता है वह शनैः शनैः
करता है जो नफरत जुनून से
और उसके चक्रवाती जज्बातों से
उनसे जो लौटाते हैं चमक आंखों में
और बचाते हैं अभागे ह्रदय को।
मर जाता है वह शनैः शनैः
बदलता नहीं जो जीवन का रास्ता
असंतुष्ट होने पर भी अपने काम से या प्रेम से
उठाता नहीं जो जोखिम अनिश्चित के लिए निश्चित का
भागता नहीं जो ख्वाबों के पीछे
नहीं है अनुमति जिसे भागने की
लौकिक मंत्रणा से जिंदगी में कम से कम एक बार।
जियो आज जीवन! रचो आज!
उठाओ आज जोखिम
मत दो मरने खुद को आज शनैःशनैः
मत भूलो खुश रहना!!

(रचनाकार से साभार प्रकाशित)

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