निमिषा प्रिया की फांसी पर असमंजस के बीच जयशंकर ने किया ‘ऑपरेशन राहत’..

नई दिल्ली, 20 जुलाई । इन दिनों देश के कूटनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई फांसी की सजा के मामले पर हो रही है। 16 जुलाई को उन्हें फांसी होनी थी। लेकिन उससे ठीक पहले युद्धस्तर पर जारी विदेश मंत्रालय और राज्य के ही मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम मुसलियार के प्रयासों के चलते फिलहाल सजा टल गई है। मंत्रालय मामले में खाड़ी में भारत के कुछ मित्र देशों की मदद भी ले रहा है। इन सबके बीच विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने यमन का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा समय में सभी नागरिकों का ध्यान भारत सरकार की कूटनीति पर है। क्योंकि मुसीबत के वक्त हमने अभियान चलाकर अपने नागरिकों की रक्षा की है। कूटनीति के जरिए ही हमने यमन में गृहयुद्ध के बीच फंसे हुए भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन राहत चलाया था। अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने निमिषा प्रिया का प्रत्यक्ष रूप से नाम लिए बगैर यह बात कही। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे हुए भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए चलाए गए ऑपरेशन गंगा के साथ-साथ अफगानिस्तान, नेपाल से भी मुसीबत के दौरान अपने देश के नागरिकों को वापस लाने के सरकारी प्रयासों, अभियानों के बारे में जानकारी दी। यह जानकारी विदेश मंत्री ने दिल्ली में एयरफोर्स स्कूल के 70वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए दी। जिसके वह भी पूर्व छात्र रहे हैं।
इन चार संदेशों को याद रखें छात्र
जयशंकर ने कहा कि स्कूल जाने वाले छात्र चार संदेशों को याद रखें। जिनमें सबसे पहले स्कूल को गंभीरता से लें-शिक्षकों की बात सुनें। दूसरा, दुनिया में रूचि लें क्योंकि हम वैश्वीकरण के युग में रह रहे हैं। जहां दुनिया हमारे घर तक पहुंच चुकी है। हम जो कुछ भी करते हैं, उसे आकार दुनिया ही देती है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत बतौर देश और समाज के रूप में समृद्ध होना चाहता है। अगर हम विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर आकांक्षा रखते हैं, तो हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम वैश्विक दुनिया की सच्चाई को पहचाने और उसे स्वीकार करें कि कैसे वह हमें प्रभावित करती है? कोविड-19 इसका बड़ा उदाहरण है। ये महामारी एक देश से शुरू होकर समूचे विश्व में फैल गई थी। दुनिया में जो चीजें हो रही हैं उनमें रूचि लेने की उन्होंने छात्रों से अपील की और कहा कि आज के छात्र कुछ ‘रेडिकली अलग’ हैं। जो एआई, तकनीक, ड्रोन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से प्रभावित हैं।
उन्होंने स्कूली शिक्षा के मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्कूल में जो गुण हम सीखते हैं। वो बाकी जीवनभर हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं। जैसे टीम वर्क, लोगों की खूबियों को पहचानना और सामूहिक फायदे के लिए एकजुट होकर काम को आगे बढ़ाना मुख्य है। यही काम हम कूटनीति में भी करते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि मैंने अपना अधिकांश जीवन कूटनीति की दुनिया में बिताया है। जिसमें हम हर समय बातचीत करते रहते हैं। क्योंकि आपको अपने प्रतिद्वंद्वियों से अच्छी तैयारी में रहना होता है। एक प्रकार से ये उनसे आगे निकलने जैसा है। छात्र भी ऐसा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें शिक्षकों द्वारा बताए गए अच्छे गुणों को आत्मसात करना पड़ेगा।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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