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फ्रांस फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा: मैक्रों…

फ्रांस फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा: मैक्रों…

-फ्रांस ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का किया ऐलान, नेतन्याहू सरकार हुई आगबबूला

पेरिस, 25 जुलाई। यूरोपीय देश फ्रांस अब फिलिस्तीन को एक देश के रूप मान्यता देने जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार 24 जुलाई को कहा कि उनका देश फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता देगा। वहीं, फ्रांस के इस कदम पर इजरायल भड़क गया है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब गाजा में युद्ध के चलते लोग भूख से मर रहे हैं। मैक्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस फैसले को औपचारिक रूप देंगे। उन्होंने कहा, आज सबसे जरूरी बात यह है कि गाजा में युद्ध रुके और नागरिक आबादी को बचाया जाए।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने गाजा में शांति को जरूरी बताते हुए कहा, ‘तत्काल युद्धविराम होना चाहिए, सभी बंधकों की रिहाई होनी चाहिए और गाजा के लोगों को भारी मानवीय सहायता देनी चाहिए। हमास का डीमिलिट्राइजेशन, गाजा को सुरक्षित और पुनिर्निर्माण करना भी आवश्यक है। अंततः फिलिस्तीन राज्य का निर्माण, उसकी व्यवहार्यता सुनिश्चित करना और उसके विसैन्यीकरण को स्वीकार करके और इजरायल को पूर्ण मान्यता देकर उसे मध्य पूर्व में सभी की सुरक्षा में योगदान करने में सक्षम बनाना आवश्यक है।’

समर्थन से विरोध तक मैक्रों
मैक्रों ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद इजरायल को समर्थन दिया था और वे अक्सर यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ बोलते रहे हैं, लेकिन गाजा में इजरायल के युद्ध को लेकर अब उनकी चिंता बढ़ती जा रही है। हाल के महीनों में गाजा की घटनाओं के चलते मैक्रों अब खुलकर युद्ध रोकने के लिए इजरायल पर दबाव बना रहे हैं। फ्रांस फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली यूरोपीय देश है। फ्रांस में यूरोप की सबसे बड़ी यहूदी आबादी और पश्चिमी यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है।

फ्रांस के कदम पर भड़का इजरायल
इस बीच फिलिस्तीन को मान्यता देने के कदम पर इजरायल भड़क गया है। इजरायल के उपप्रधानमंत्री यारिव लेविन ने गुरुवार को फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के फ्रांस के फैसले की कड़ी आलोचना की और इसे ‘फ्रांसीसी इतिहास पर एक काला धब्बा और आतंकवाद को सीधी मदद’ बताया। लेविन इजरायल के न्याय मंत्री भी हैं। उन्होने कहा, फ्रांस के शर्मनाक फैसले का मतलब है कि अब पश्चिमी तट पर इजरायली संप्रभुता लागू करने का समय आ गया है, जिस पर इजरायल ने 1967 से कब्जा कर रखा है।

सियासी मियार की रीपोर्ट