ओ देशवासियों, बैठ न जाओ पत्थर से…
-हरिवंशराय बच्चन-

ओ देशवासियों, बैठ न जाओ पत्थर से,
ओ देशवासियों, रोओ मत यों निर्झर से,
दरख्वास्त करें, आओ, कुछ अपने ईश्वर से
वह सुनता है गमजादों औररंजीदों की।
जब सार सरकता-सा लगता जग-जीवन से,
अभिषिक्त करें, आओ, अपने को इस प्रण से-
हम कभी न मिटने देंगे भारत के मन से
दुनिया ऊँचे आदर्शों की, उम्मीदों की।
माधना एक युग-युग अंतर में ठनी रहे
यह भूमि बुद्ध-बापू-से सुत की जनी रहेय
प्रार्थना एक युग-युग पृथ्वी पर बनी रहे
यह जाति योगियों, संतों और शहीदों की।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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