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अपतटीय पवन ऊर्जा में निवेशक नहीं दिखा रहे रुचि…

अपतटीय पवन ऊर्जा में निवेशक नहीं दिखा रहे रुचि…

नई दिल्ली, 31 अगस्त। बुनियादी ढांचे की कमी और ज्यादा पारेषण लागत के कारण देश में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजना उड़ान नहीं भर पा रही है।

देश में स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता इस साल 50 गीगा वाट को पार कर चुकी है और सरकार ने साल 2030 तक इसे बढ़ाकर 100 गीगा वाट करने का लक्ष्य रखा है। इस लिहाज से औसतन हर साल 10 गीगा वाट की क्षमता जोड़नी होगी। पिछले तीन वित्त वर्षों के आंकड़े देखें तो 2022-23 में पवन ऊर्जा क्षमता 2.28 गीगा वाट, 2023-24 में 3.25 गीगा वाट और 2024-25 में 4.15 गीगा वाट बढ़ी थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1.64 गीगा वाट क्षमता जोड़ी गयी है और कुल स्थापित क्षमता 51.67 गीगा वाट हो गयी है। इस रफ्तार से साल 2030 तक 48 गीगा वाट का लक्ष्य मुश्किल लगता है।

सरकार ने पवन ऊर्जा के विस्तार के लिए अपतटीय परियोजनाओं को बढ़ावा देने की योजना बनायी है, लेकिन वह परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। पहले चरण में सरकार ने कुल 10 मेगावाट की दो परियोजनाओं के लिए तैयारी की है। ये परियोजनायें गुजरात और तमिलनाडु में पांच-पांच गीगा वाट के संयंत्र स्थापित करने की हैं।

दोनों राज्यों में 500-500 मेगा वाट के लिए सरकार ने वायेविलिटी गैप फंडिंग के जरिये नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 जून 2024 को इस मद में 7,453 करोड़ रुपये के प्रावधान को मंजूरी दी थी। इसमें 6,853 करोड़ रुपये पवन ऊर्जा संयंत्र की स्थापना पर और शेष 600 करोड़ रुपये दोनों जगह बंदरगाहों के ढांचागत विकास पर खर्च किये जाने थे।

भारतीय सौर ऊर्जा आयोग ने 13 सितंबर 2024 को टेंडर गुजरात की परियोजना के लिए टेंडर जारी किये थे, लेकिन चयन की शर्तों में बदलाव के बावजूद निवेशकों के रुचि नहीं दिखाने के कारण गत 12 अगस्त को टेंडर रद्द कर दिया गया।

ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2030 से पहले देश में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजना में उत्पादन शुरू होने की संभावना नहीं है। इसके पीछे चार प्रमुख कारण बताये गये हैं। उसने कहा कि टेंडर ऐसे समय में जारी किया गया जब बाजार की गतिविधियों में सुस्ती थी। साथ ही बुनियादी ढांचे की कमी के कारण भी निवेशक सामने नहीं आये। बंदरगाहों पर बुनियादी ढांचे और विनिर्माण सुविधाओं की कमी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात में पवन ऊर्जा से प्राप्त बिजली की दर 10.5 रुपये प्रति इकाई और तमिलनाडु में 9.6 रुपये प्रति इकाई रहने की उम्मीद है जो पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त बिजली (सात रुपये प्रति इकाई) की तुलना में काफी महंगी है। इसके अलावा इस क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों की कमी को भी एक कारण बताया गया है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने साल 2030 तक 500 गीगा वाट हरित ऊर्जा का लक्ष्य रखा है जो साल 2024 में 162 गीगा वाट था। इसमें कुल 340 गीगा वाट सौर एवं पवन ऊर्जा का लक्ष्य है। जीडब्ल्यूईसी के अनुसार, साल 2030 में सौर ऊर्जा क्षमता बढ़कर 300 गीगा वाट और पवन ऊर्जा क्षमता 100 गीगा वाट हो जायेगा।

सियासी मियार की रीपोर्ट