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अज्ञान के कारण माया को ही शाश्वत समझ लेता है मनुष्य : नर्मदाशंकर…

अज्ञान के कारण माया को ही शाश्वत समझ लेता है मनुष्य : नर्मदाशंकर…

हरिद्वार, 12 सितंबर । श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास स्वामी नर्मदाशंकर पुरी जयपुर वालों ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है, इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। कनखल स्थित श्री यंत्र मंदिर प्रांगण में चल रही कथा के दौरान कथा व्यास ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत बताता है कि कर्म ऐसा करो जो निष्काम हो, वहीं सच्ची भक्ति है।

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