चीन के ‘आयरन ब्रदर’ पाकिस्तान को सीपीईसी ने कर्ज के दलदल में धकेला, 9.5 अरब डॉलर के बोझ तले दबा देश.

इस्लामाबाद, 24 सितंबर। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी), जिसे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है, अब पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। ‘द डिप्लोमैट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान, जो खुद को चीन का ‘आयरन ब्रदर’ कहता है, इस परियोजना के कारण 9.5 अरब डॉलर के भारी कर्ज के जाल में फंस गया है। इस कर्ज के बावजूद, पाकिस्तानी नेता सार्वजनिक रूप से सीपीईसी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि यह परियोजना अब देश के लिए आर्थिक और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर एक बड़ी चुनौती बन गई है।
सीपीईसी की धीमी प्रगति और बढ़ती लागत
चीन ने पाकिस्तान को यह सपना दिखाया था कि सीपीईसी देश में आर्थिक विकास की बहार लाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। परियोजना के कई साल बीत जाने के बाद भी इसकी प्रगति बहुत धीमी है। ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे के अधिकांश प्रोजेक्ट में देरी हो रही है, जिससे उनकी लागत में भी भारी वृद्धि हुई है। लाहौर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री अली हसनैन ने बताया कि सीपीईसी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके अधिकतर प्रोजेक्ट विदेशी मुद्रा पर निर्भर हैं, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। पाकिस्तान के योजना आयोग के अनुसार, सीपीईसी के 95 में से अभी तक केवल 32 प्रोजेक्ट ही पूरे हो पाए हैं।
सुरक्षा चुनौतियाँ और चीन की बौखलाहट
सीपीईसी से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियाँ भी एक बड़ा मुद्दा बन गई हैं। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों से चीन में बौखलाहट है। गत 6 मार्च को चीन के राजदूत ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तानी नेतृत्व को बलूचिस्तान में अपने नागरिकों को सुरक्षा देने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई थी। इन हमलों से निपटने के लिए पाकिस्तान ने सीपीईसी की सुरक्षा के लिए 15,000 सैनिकों को तैनात किया है, ताकि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे संगठनों के हमलों से चीनी नागरिकों को बचाया जा सके। इसके बावजूद, जुलाई में ग्वादर में हुए एक हमले में पाँच चीनी इंजीनियर घायल हो गए।
वर्ष 2021 से 2024 के बीच, सीपीईसी से संबंधित परियोजनाओं पर 14 हमले हुए हैं, जिनमें 20 चीनी नागरिक मारे गए और 34 घायल हुए। इनमें से अधिकांश हमले बीएलए और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने किए हैं। इन हमलों के कारण चीनी कंपनियों का बीमा खर्च भी बढ़ गया है और कई परियोजनाओं से कर्मचारियों को हटाना पड़ा है। हाल ही में, चीन ने रेलवे अपग्रेडेशन के एक बड़े सीपीईसी प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया है, जो इस परियोजना पर चीन के बदलते रुख का संकेत देता है।
भारत के साथ चीन के संबंध
एक ओर जहाँ सीपीईसी पाकिस्तान के लिए समस्याएँ खड़ी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की और आपसी सहयोग तथा व्यापार को बढ़ाने पर जोर दिया। यह कदम भारत के साथ अपनी पुरानी प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दोस्ती बढ़ाने की चीन की इच्छा को दर्शाता है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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