फ्रांस समेत छह यूरोपीय देशों ने फिलिस्तीन को दी मान्यता, क्या कमजोर पड़ रहे हैं अमेरिका और इजरायल?.
न्यूयॉर्क, । फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की मुहिम को एक नई गति मिली है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक विशेष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मैक्रों ने कहा कि यह समय आ गया है कि “फिलिस्तीनी लोगों के लिए न्याय किया जाए।” उन्होंने इस कदम को द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए आवश्यक बताया, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन शांति और सुरक्षा के साथ-साथ रह सकें।
यूरोपीय देशों की बढ़ती सहमति
फ्रांस की इस पहल में अन्य यूरोपीय देश भी शामिल हो गए हैं। फ्रांस के साथ ही एंडोरा, माल्टा, लक्जमबर्ग और मोनाको ने भी फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है। बेल्जियम ने भी अपना समर्थन दिया है, हालांकि उसने कहा है कि यह तभी प्रभावी होगा जब हमास को हटा दिया जाए और सभी बंधकों को रिहा कर दिया जाए। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने का आह्वान किया है।
फ्रांस की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब हाल ही में ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने भी फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया था। इन देशों के साथ अब फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या 145 से अधिक हो गई है।
अमेरिका और इजरायल का रुख
हालांकि, इस पहल को इजरायल और अमेरिका की तरफ से समर्थन मिलने की संभावना नहीं है। सऊदी अरब के साथ मिलकर फ्रांस द्वारा आयोजित इस विशेष शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने हिस्सा नहीं लिया। इजरायल ने इस पहल को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। जी7 समूह के अन्य सदस्य देश जर्मनी और इटली भी इस सम्मेलन से दूर रहे।
मैक्रों ने तर्क दिया है कि फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देना ही इजरायल को शांति से रहने का एकमात्र तरीका है और यह कदम हमास की हार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलिस्तीनियों के अधिकारों को मान्यता देने से इजरायल के लोगों के अधिकारों में कोई कमी नहीं आएगी।
डोनाल्ड ट्रंप और अरब देशों की बैठक
इन घटनाक्रमों के बीच, आठ अरब और मुस्लिम देशों के नेता मंगलवार को डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं। इस बैठक में सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, इंडोनेशिया, कतर और जॉर्डन शामिल होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में ट्रंप गाजा में युद्ध को समाप्त करने और उसके बाद की योजना प्रस्तुत कर सकते हैं। अमेरिकी और अरब अधिकारियों का मानना है कि यह एक अमेरिकी योजना होगी, न कि इजरायली योजना।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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