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स्टूडेंट बस पर बैठ गए थे तभी शुरू हो गई थी फायरिंग, पीएम मोदी ने घुमाया फोन और रुक गई गोलीबारी, जयशंकर ने बताया वो खौफनाक पल…

स्टूडेंट बस पर बैठ गए थे तभी शुरू हो गई थी फायरिंग, पीएम मोदी ने घुमाया फोन और रुक गई गोलीबारी, जयशंकर ने बताया वो खौफनाक पल…

नई दिल्ली, 06 अप्रैल. । यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को निकालने का काम काफी मुश्किल भरा था। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के राष्ट्रपति से बात करके छात्रों को सुरक्षित निकालने का रास्ता निकाला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज लोकसभा में ऑपरेशन गंगा पर जानकारी देते हुए कहा कि एक वक्त तो सुमी में छात्र बसों में बैठ गए थे तभी दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। तब पीएम ने खुद मोर्चा संभाला और छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

जयशंकर ने बताया वो खौफनाक पल

जयशंकर ने लोकसभा में उस खौफनाक पल को बताते हुए कहा कि खारकीव में गोलीबारी हो रही थी। सुमी में यूक्रेन और रूस के बीच फायरिंग हो रही थी। पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन मिलाया। उस वक्त मैं खुद कमरे में था। उन्होंने खारकीव गोलीबारी रोकने के लिए पुतिन के साथ मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र खतरे में हैं। जयशंकर ने कहा कि उस बातचीत के कारण हमें उतना समय मिला कि हमारे छात्र खारकीव छोड़कर सेफ जोन में चले जाए।

सुमी में बस पर शुरू हो गई गोलीबारी

सुमी में तो एक टाइम तो स्टूडेंट बस में बैठ भी गए थे, हम निकलने वाले थे और फायरिंग फिर से शुरू हो गई। तो पीएम मोदी ने दोनों राष्ट्रपतियों से बात की। क्योंकि दोनों लोग कह रहे थे कि फायरिंग दूसरी तरफ से हो रही है। पीएम मोदी ने दोनों नेताओं को समझाया कि हमें एक खास समय तक का वक्त दें। पीएम ने कहा कि अगर आप अपनी फौज को बताएं कि आप फायरिंग न करें तो हम निकल जाएंगे। इसके बाद दोनों देशों ने गोलीबारी रोक दी। फिर यूक्रेन से हमलोगों से सहायता ली और उनका प्रोटेक्शन भी लिया। इसके आलावा रेड क्रॉस से सहायता ली। उसके बाद हम अपने छात्रों को निकालने में सफल हो पाए।

जयशंकर ने की छात्रों की तारीफ

जयशंकर ने इस मुसीबत की घड़ी में छात्रों के हौसले की तारीफ भी की है। उन्होंने कहा कि छात्रों ने जो झेला है उनके लिए तो मेरे पास शब्द भी नहीं हैं। ज्यादातर लोग ट्रेनों से निकले। हमने यूक्रेन सरकार पर दबाव बनाया कि जबतक छात्र निकल न जाए तबतक ट्रेनें न रोकें। बहुत सारे छात्र जो निकले उन्होंने कैंप में काम किया और उन्होंने बाकी स्टूडेंड की मदद की। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि बस एक ही थी। तब छात्रों ने तय किया कि कौन जाएगा और कौन नहीं जाएगा। बहुत लोग रुके और दूसरे को जाने को कहा।

सियासी मीयार की रिपोर्ट