दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्थानीय अधिकारियों से विद्युत, सीएनजी शवदाहगृह पर रिपोर्ट मांगी…

नई दिल्ली, 18 अप्रैल । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को स्थानीय अधिकारियों से यहां बिजली और सीएनजी शवदाह गृह की स्थिति और लकड़ी के स्थान पर उनका उपयोग बढ़ाने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी।
पिछले साल कोविड-19 के कारण हुई मौतों की भारी संख्या के मद्देनजर शवों को दफनाने और दाह संस्कार से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिकारियों से अपनी स्थिति रिपोर्ट में विद्युत चालित और सीएनजी शवदाहगृहों के विवरण और ब्योरे की जानकारी देने को कहा।
पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि याचिका के पीछे का उद्देश्य-जिसमें विद्युत श्मशान की संख्या में वृद्धि की मांग की गई थी-“प्रशंसनीय” था और अधिकारियों से शहर में बिजली और सीएनजी शवदाह गृहों के संबंध में चार सप्ताह में एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। अदालत ने कहा, “हम समूची दिल्ली के लिये रिपोर्ट चाहते हैं, कोविड (के पहलू को) भूल जाइए।”
अदालत ने आदेश दिया, “हम स्थानीय निकायों को नवीनतम स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जिसमें उनके अधिकार क्षेत्र में श्मशान घाटों के विवरण और ब्योरे का संकेत दिया गया है… और क्या वे काम कर रहे हैं?” पीठ ने कहा, “स्थिति रिपोर्ट में लकड़ी के विकल्प के रूप में श्मशान घाटों के लिए बिजली और सीएनजी के उपयोग को बढ़ाने के लिए स्थानीय निकायों द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी इसमें दी जाए।
याचिकाकर्ताओं में से एक, प्रत्यूष प्रसन्ना ने पिछले साल अदालत का रुख किया था, जिसमें दैनिक रूप से कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की “भारी” संख्या को देखते हुए शहर में श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों की संख्या को अस्थायी रूप से बढ़ाने की मांग की गई थी।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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