21वीं सदी में कनेक्टिविटी देश की प्रगति को निर्धारित करेगा: मोदी (राउंड अप)…

नई दिल्ली, 17 मई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वदेश निर्मित 5 जी टेस्ट बेड के राष्ट्र को समर्पित करते हये कहा कि 21वीं सदी के भारत में कनेक्टिविटी देश की प्रगति को निर्धारित करेगा और इस दशक के अंत तक देश में 6जी सेवायें भी शुरू की जायेगी, इसके लिए भी टास्क फोर्स काम करना शुरु कर चुकी है।
श्री मोदी ने आज यहां दूरसंचार नियामक ट्राई के रजत जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘ये सुखद संयोग है कि आज इस संस्था ने 25 साल पूरे किए हैं, तब देश आज़ादी के अमृतकाल में अगले 25 वर्षों के रोडमैप पर काम कर रहा है, नए लक्ष्य तय कर रहा है। थोड़ी देर पहले मुझे देश को अपना, स्वदेश निर्मित 5जी टेस्ट बेड राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर मिला है। ये टेलिकॉम सेक्टर में क्रिटिकल और आधुनिक टेक्नॉलॉजी की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी साथियों को, आईआईटी को बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं, शोधकर्ताओं और कंपनियों को इस टेस्टिंग फैसिलिटी का उपयोग 5जी टेक्नॉलॉजी के निर्माण के लिए करने के वास्ते आमंत्रित करते हुये कहा “हमारे स्टार्ट अप के लिए अपने प्रोडक्ट टेस्ट करने का ये बहुत बड़ा अवसर है। 5जी आई के रूप में जो देश का अपना 5 जी स्टैंडर्ड बनाया गया है, वो देश के लिए बहुत गर्व की बात है। ये देश के गांवों में 5जी टेक्नॉलॉजी पहुंचाने और उस काम में बड़ी भूमिका निभाएगा।”
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत में कनेक्टिविटी, देश की प्रगति की गति को निर्धारित करेगी। इसलिए हर स्तर पर कनेक्टिविटी को आधुनिक बनाना ही होगा। इसकी बुनियाद का काम करेंगे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल। 5जी टेक्नोलॉजी भी, देश की गवर्नेंस में, जीवनयापन में सुगमता, कारोबारी सुगमता इन अनेक विषयों में सकारात्मक बदलाव लाने वाली है। इससे खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स, हर सेक्टर में ग्रोथ को बल मिलेगा। इससे सुविधा भी बढ़ेगी और रोज़गार के भी नए अवसर बनेंगे। अनुमान है कि आने वाले डेढ़ दशक में 5जी से भारत की अर्थव्यवस्था में 450 अरब डॉलर का योगदान होने वाला है। यानि ये सिर्फ इंटरनेट की गति ही नहीं, बल्कि प्रगति और रोजगार सृजन की गति को भी बढ़ाने वाला है। इसलिए, 5जी तेज़ी से शुरू किया जाये। इसके लिए सरकार और इंडस्ट्री, दोनों को पहल करने की जरूरत है। इस दशक के अंत तक हम 6जी सर्विस भी लॉन्च कर पाएं, इसके लिए भी हमारी टास्क फोर्स काम करना शुरु कर चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास है कि टेलीकॉम सेक्टर और 5जी टेक्नोलॉजी में हमारे स्टार्ट अप तेज़ी से तैयार हों, ग्लोबल चैंपियन बनें। हम अनेक सेक्टरों में दुनिया के एक बड़े डिज़ाइन पावर हाउस हैं। दूरसंचार उपकरण बाजार में भी भारत के डिज़ाइन चैंपियन का सामर्थ्य हम सभी जानते हैं। अब इसके लिए ज़रूरी शोध एवं विकास इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर हमारा विशेष फोकस है जिसमें आप सबकी भी बहुत बड़ी भूमिका है।”
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता और स्वस्थ स्पर्धा कैसे समाज में, अर्थव्यवस्था में गुणात्मक प्रभाव पैदा करती है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण भारतीय टेलिकॉम सेक्टर है। उन्होंने कहा कि 2जी पर काल यानि निराशा, हताशा, भ्रष्टाचार, पॉलिसी पैरालिसिस और आज उस कालखंड से बाहर निकलकर देश ने 3जी से 4जी और अब 5जी और 6जी की तरफ तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। ये बदलाव बहुत सुचारू, पारदर्शिता के साथ हो रहा है और इसमें ट्राई की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पुरानी तिथि से कराधान या एजीआर जैसे मुद्दे उद्योग के सामने आई हैं, तो हमने उतनी ही गति से उसके समाधान का प्रयास किया है और जहां-जहां जरूरत पड़ी हमने सुधार भी किया है। ऐसे ही प्रयासों ने एक नया विश्वास पैदा किया। इसी का परिणाम है कि 2014 से पहले एक दशक से ज्यादा समय में जितना एफडीआई टेलीकॉम सेक्टर में आया है, उससे डेढ़ गुणा से अधिक सिर्फ इन 8 सालों में आया है। भारत की क्षमताओं पर निवेशकों की इसी धारणा को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी हम सभी पर है।”
उन्होंने कहा, ‘‘बीते वर्षों में सरकार जिस तरह नई सोच और अप्रोच के साथ काम कर रही है, उससे आप सभी भली-भांति परिचित हैं। पुरानी वाली सोच से आगे निकलकर अब देश सरकार की पूर्ण पहल के साथ आगे बढ़ रहा है। आज हम देश में टेली घनत्व और इंटरनेट उपयोगकर्ता के मामले में दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रहे हैं तो उसमें टेलीकॉम समेत कई सेक्टरों की भूमिका रही है। सबसे बड़ी भूमिका इंटरनेट की है। वर्ष 2014 में जब हम आए तो हमने सबका साथ, सबका विकास और इसके लिए टेक्नॉलॉजी के व्यापक उपयोग को अपनी प्राथमिकता बनाया।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए देश के करोड़ों लोग आपस में जोड़ने, सरकार से भी जुड़ने, सरकार की भी सभी इकाइयां चाहे केंद्र हो, राज्य हो, स्थानीय स्वराज संस्थाएं हों, वे भी एक प्रकार से एक आर्गेनिक इकाई बनकर के आगे बढ़ने की जरूरत है। आसानी से कम से कम खर्च में जुड़ें, बिना करप्शन के सरकारी सेवाओं का लाभ ले सकें। इसलिए जनधन, आधार, मोबाइल की ट्रिनिटी को डायरेक्ट गवर्नेंस का माध्यम बनाना तय किया गया। मोबाइल गरीब से गरीब परिवार की भी पहुंच में हो, इसके लिए देश में ही मोबाइल फोन की मैन्युफेक्चरिंग पर बल दिया गया जिसका परिणाम ये हुआ कि मोबाइल मैन्युफेक्चरिंग यूनिट 2 से बढ़कर 200 से अधिक हो गईं। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरर है, और जहां देश अपनी ज़रूरत के लिए फोन इंपोर्ट करता था आज मोबाइल फोन निर्यात के नए रिकॉर्ड बना रहा हैं।
श्री मोदी ने कहा कि मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए जरूरी था कि कॉल और डेटा महंगा ना हो। इसलिए टेलिकॉम मार्केट में स्वस्थ्य प्रतियोगिता को प्रोत्साहित किया गया। इसी का परिणाम है कि आज भारत दुनिया के सबसे सस्ता डेटा प्रदाताओं में से एक हैं। आज भारत देश के हर गांव तक ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने में जुटा है। 2014 से पहले भारत में सौ ग्राम पंचायतें भी ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी से नहीं जुड़ी थीं। आज करीब-करीब पौने दो लाख ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है। कुछ समय पहले ही सरकार ने देश के नक्सल प्रभावित अनेक जनजातीय जिलों में भी 4जी कनेक्टिविटी पहुंचाने की बहुत बड़ी योजना को स्वीकृत किया है। ये 5जी और 6जी टेक्नॉलॉजी के लिए भी अहम है और मोबाइल और इंटरनेट के दायरे का भी इससे विस्तार होगा।
उन्होंने कहा कि फोन और इंटरनेट तक ज्यादा से ज्यादा भारतीयों की पहुंच ने भारत के एक बहुत बड़ी संभावना के द्वार को खोल लिया है। इसने देश में एक सशक्त डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखी है। इसने देश में सर्विस की एक बहुत बड़ी डिमांड पैदा की है। इसका एक उदाहरण देश के कोने-कोने में बनाए गए 4 लाख कॉमन सर्विस सेंटर हैं। इन कॉमन सर्विस सेंटरों से आज सरकार की सैकड़ों सर्विसेस, गांव के लोगों तक पहुंच रही है। ये कॉमन सर्विस सेंटर लाखों युवाओं को रोजगार का भी माध्यम बने हैं।
उन्होंने कहा कि, ‘‘हमारी सरकार टेक्नोलॉजी को निरंतर अपग्रेड करने के साथ-साथ देश के डिलिवरी सिस्टम को भी लगातार सुधार रही है। इसने देश में सर्विस और मैन्युफेक्चरिंग, दोनों से जुड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम को बल दिया है। ये भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट अप इकोसिस्टम बनाने के पीछे एक अहम कारण है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की पहल ट्राई जैसे तमाम नियामकों के लिए भी वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अहम है। आज नियमन सिर्फ एक सेक्टर की सीमाओं तक सीमित नहीं है। टेक्नॉलॉजी अलग-अलग सेक्टरों को आपस में जोर रही है। इसलिए आज सामूहिक नियमन की ज़रूरत हर कोई स्वाभाविक रूप से अनुभव कर रहा है। इसके लिए ज़रूरी है कि सभी नियामक साथ आएं, कॉमन प्लेटफॉर्म तैयार करें और बेहतर तालमेल के साथ समाधान निकालें। उन्होंने कहा कि ट्राई को दूरसंचार उपभोक्ताओं के हितो की भी सुरक्षा करनी है और दुनिया के सबसे आकर्षक टेलिकॉम मार्केट की ग्रोथ को भी प्रोत्साहित करना है।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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