न्यायालय ने चुनाव अधिसूचना में देरी को लेकर नगालैंड सरकार की खिंचाई की..

नई दिल्ली, 14 जुलाई । उच्चतम न्यायालय ने शहरी स्थानीय निकायों में चुनावों को अधिसूचित करने में देरी पर बृहस्पतिवार को नगालैंड सरकार की खिंचाई की और राज्य चुनाव आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनाव के कार्यक्रम के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि राज्य की ओर से हर स्तर पर महिलाओं के अधिकारों को बहाल रखने के प्रयास में देरी हुई है।
पीठ ने कहा, ‘‘जब मामला अदालत के समक्ष सूचीबद्ध होता है और सुनवाई शुरू होती है तब कुछ कदम उठाए जाते हैं। राज्य की विफलता के कारण अब राज्य चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना देर से जारी की जाएगी।’’ पीठ मामले में 29 जुलाई को अगली सुनवाई करेगी।
पीठ ने मामले का निपटारा करने से इनकार किया और कहा, ‘‘राज्य सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उस पर हमें कोई भरोसा नहीं है।’’ शीर्ष अदालत नगालैंड नगरपालिका (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 23ए और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार नगालैंड में सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के लिए चुनाव कराने का अनुरोध करने वाले संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई की शुरुआत में, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में संशोधन शुरू भी नहीं किया है क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार से चुनावों को अधिसूचित करने का अनुरोध किया है कि क्या यह किया जा सकता है। गोंजाल्विस ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें पर्याप्त समय देने के बावजूद राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता के एन बालगोपाल ने पीठ को सूचित किया कि वह इस मुद्दे में देरी नहीं कर रही है और सरकार ने मामले में अपनी प्रशासनिक मंजूरी दे दी है। हालांकि, पीठ ने देरी पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘‘आपने स्थानीय भावनाओं पर ध्यान नहीं दिया। आप 12 साल से महिलाओं के अधिकारों के साथ ऐसा व्यवहार करते रहे हैं। यह चौंकाने वाली स्थिति है। ’’
बालगोपाल ने पीठ को बताया कि हाल में राज्य में दो महिला अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति की गई है और कहा, ‘‘हवा बदल रही है।’’ हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘हवा बहुत धीमी गति से चल रही है। इसे और तेज चलने की जरूरत है।’’
नगालैंड सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि वह नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर सहमत हो गई है। सरकार ने कहा था कि नौ मार्च को हुई एक परामर्श बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें सभी हितधारक मौजूद थे।
शीर्ष अदालत ने पूर्व में राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने में देरी पर नगालैंड सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि लैंगिक समानता का एक महत्वपूर्ण पहलू स्थगित होता प्रतीत हो रहा है। न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग द्वारा की गई शिकायत पर ध्यान दिया था कि राज्य सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में इस्तेमाल के लिए संसदीय चुनाव की मतदाता सूची को अपनाने को लेकर कानून में बदलाव के संबंध में उसके अनुरोध का जवाब नहीं दे रही है।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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