‘नए भारत में बिग ब्रदर हमेशा देख और सुन रहे हैं’, मार्गरेट अल्वा ने जताई फोन टैपिंग की आशंका..

नई दिल्ली, 26 जुलाई । उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने केंद्र सरकार की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करते हुए आरोप लगाया कि नेताओं के फोन कॉल पर ‘‘बिग ब्रदर’’ नजर रख रहे हैं। इससे पहले, अल्वा ने कहा था कि वह ‘‘भाजपा में कुछ मित्रों’’ से बात करने के बाद वह न तो किसी को फोन कर पा रही हैं और न ही उन्हें कोई कॉल आ पा रहा है। अल्वा ने ट्वीट किया, ‘नए भारत में विभिन्न दलों के नेताओं के बीच सभी वार्तालापों के दौरान यह डर रहता है कि ‘बिग ब्रदर’ हमेशा देख और सुन रहे हैं। विभिन्न दलों के सांसद एवं नेता कई फोन रखते हैं, बार-बार नंबर बदलते हैं और वे जब मिलते हैं, तो फुसफुसाकर बात करते हैं। डर लोकतंत्र की हत्या कर देता है।’
अल्वा ने दो सरकारी दूरसंचार कंपनी को संबोधित करते हुए सोमवार रात ट्वीट किया था, ‘प्रिय बीएसएनएल/एमटीएनएल, आज भाजपा के कुछ मित्रों से बात करने के बाद मैं किसी को कॉल नहीं कर पा रही हूं और ना ही किसी का फोन आ पा रहा है। अगर आप सेवाएं बहाल कर देंगे, तो मैं वादा करती हूं कि आज रात भाजपा, टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) या बीजद (बीजू जनता दल) के किसी सांसद को फोन नहीं करूंगी।’ उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अल्वा के सामने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एवं राजग के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की चुनौती है।
अल्वा 5 दशक पहले 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में आई थीं। पांच साल बाद, वह संसद के उच्च सदन के लिए चुनी गईं। 1975 से 1976 तक, उन्होंने कांग्रेस संसदीय दल की कार्यकारिणी में कार्य किया। 1974 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं, अल्वा 1980, 1986 और 1992 में फिर से चुनी गई। 80 के दशक के मध्य में, अल्वा ने केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
1985 में, इंदिरा गांधी की हत्या और राजीव गांधी की शानदार चुनावी जीत के बाद, अल्वा को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के भीतर युवा मामलों, खेल, महिला और बाल विकास राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उसी वर्ष, अल्वा ने नैरोबी में महिलाओं पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में भाग लिया, और भारत लौटने पर, योजना आयोग (अब नीति आयोग) और कई मंत्रालयों के भीतर एक महिला प्रकोष्ठ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अल्वा उत्तराखंड, राजस्थान, गोवा और गुजरात के राज्यपाल भी रही हैं।
सियासी मीयर की रिपोर्ट
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