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वाराणसी: कार्तिक अमावस्या की महानिशा में मां काली की महानिशीथ काल में पूजा..

वाराणसी: कार्तिक अमावस्या की महानिशा में मां काली की महानिशीथ काल में पूजा..

-नवसंघ क्लब के पंडाल में मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित

-वैदिक मंचोच्चार के बीच चक्षुदान प्राण प्रतिष्ठा, कलश स्थापित

वाराणसी, । काशीपुराधिपति की नगरी में सोमवार की देर शाम कार्तिक अमावस्या की निशा में बंगीय समाज मां काली की महानिशा पूजन के लिए तैयार है। शहर के देवनाथ पुरा स्थित नवसंघ क्लब के पंडाल में मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। पंडाल में चक्षुदान व प्राण प्रतिष्ठा का विधान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुआ। मंत्रोच्चार के साथ ही कलश स्थापना हुई।

देर रात महानिशीथ काल में तांत्रिक तंत्र साधना कर मां का आह्वान करेंगे। पूजा भोर तक चलती रहेगी। गणेश आदि पंचदेवता की पूजा भी अर्धरात्रि के बाद होगी। कूष्माड बलि अर्पित करने के बाद 108 दीपदान किया जायेगा। इसी क्रम में सोनारपुरा स्थित वाणी संघ, भेलूपुर स्थित जिम स्पोर्टिंग क्लब, शारदोत्सव संघ,पांडेय हवेली समेत शहर के अन्य स्थानों पर भी मां काली का पूजन की तैयारी है। दो दिवसीय पूजन अर्चन कार्यक्रम में कई पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा।

देवनाथपुरा स्थित शवशिवा काली मंदिर में भी विशेष पूजन अर्चन् होगा। शवशिवा काली मंदिर की स्थापना 1789 में पश्चिम बंगाल के राजा चंद्रराय के पुरोहित चंद्रशेखर शर्मा ने कराई थी। मंदिर में माता रानी के विग्रह को आगे से देखने पर शव के ऊपर शिव और शिव के ऊपर काली के दर्शन होते हैं। पीछे से शिवलिंग के दर्शन होते हैं। मंदिर प्रबंधन से जुड़े देवाशीष दास की देखरेख में मुख्य पूजा देर शाम से शुरूहोगी। यहां मंदिर में अन्नकूट की झांकी 26 अक्तूबर को सजाई जाएगी। बंगीय समाज में मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर मां काली की पूजा से डर खत्म होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है, शत्रु का नाश होता है। अमावस्या की रात उत्पन्न बुरी शक्तियों का नाश काली ही करती हैं।

सियासी मियार की रिपोर्ट