Monday , September 23 2024

कर्नाटक के मराठी भाषी लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए इच्छाशक्ति की कमी : एमईएस नेता..

कर्नाटक के मराठी भाषी लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए इच्छाशक्ति की कमी : एमईएस नेता..

मुंबई, । महाराष्ट्र में बेलगावी समेत कर्नाटक के मराठी भाषी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की इच्छा शक्ति की कमी है और प्रदेश के राजनेताओं ने खुद को दिल्ली के शासकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) के एक नेता ने बुधवार को यह आरोप लगाया।

एमईएस नेता किरन ठाकुर ने दावा किया कि केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों ने इस मामले को इसलिये अनसुलझा रखा हुआ है कि एक दिन यह अपने आप समाप्त हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि समिति मांग करती आ रही है कि बेलगावी का महाराष्ट्र में विलय किया जाये क्योंकि यहां बड़ी संख्या में मराठी लोग रहते हैं।

बढ़ते सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों को पश्चिमी राज्य में शामिल करने के लिए मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दोनों सदनों में पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य सरकार बेलगाम, कारवार बीदर, निपानी, भालकी शहरों समेत कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों की ‘प्रत्येक इंच’ भूमि को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए कानूनी तौर पर उच्चतम न्यायालय जायेगी।

ठाकुर ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद मराठी भाषी लोगों के भाषाई अधिकारों की लड़ाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 66 साल से बेलगाम (बेलगावी), कारवार, बीदर, निपानी, सुपा, हल्याल, खानापुर और आसपास के मराठी भाषी इलाकों (कर्नाटक में) के 865 गांव लोकतांत्रिक तरीके से भाषाई अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।’’

इन क्षेत्रों को बंबई प्रेसीडेंसी से लिया गया था और राज्यों के भाषाई पुनर्गठन के दौरान कर्नाटक में शामिल कर दिया गया था। ठाकुर ने कहा कि दिल्ली में नेताओं का रुख इस मुद्दे को लटकाए रखने का रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह अपने आप समाप्त हो जायेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र (सरकार) में इच्छाशक्ति की कमी है क्योंकि इसने दिल्ली के समक्ष घुटने टेक दिये हैं। महाराष्ट्र सरकार ने 28 मार्च, 2004 को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और पिछले 18 साल से अब तक इसका कोई समाधान नजर नहीं आया है।’’

उन्होंने कहा कि यह मांग की गई है कि महाराष्ट्र ने जिन इलाकों पर दावा किया है कि शीर्ष अदालत का फैसला आने तक उन इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए।

एमईएस नेता ने कहा, ‘‘एक इकाई के रूप में गांव, सापेक्ष भाषाई बहुसंख्यक, भौगोलिक निकटता और बहुसंख्यक लोगों की इच्छायें मानदंड हैं और उनके आधार पर, इन 865 गाँवों को महाराष्ट्र में रहने का अधिकार है।’’

ठाकुर ने कहा कि जहां तक कर्नाटक राज्य का संबंध है, कर्नाटक में शामिल सीमावर्ती क्षेत्रों के मराठी भाषी लोग एक भाषाई अल्पसंख्यक हैं, उन्होंने कहा कि वे कानूनी रूप से अपने भाषाई और सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा के हकदार हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मराठी लोग अपने अधिकारों के हनन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते हैं, तो पुलिस बल प्रयोग करके उनके विरोध प्रदर्शन को दबा देती है।’’

महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया है, जो तत्कालीन बंबई प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर मराठी भाषी आबादी है। इसने 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।

कर्नाटक राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 के महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर किए गए सीमांकन को मानता है।

सियासी मियार की रिपोर्ट