Monday , September 23 2024

पीढ़ियां

पीढ़ियां

वे बच्चे
इंतजार करते हैं
जिनके पापा शहरों में रहते हैं
बड़ी आशा लिये
खड़े होकर टीले पर से
ताकते रहते हैं,
पैसा आयेगा
नया कपड़ा लूंगा
मेला देखने जाऊंगा
प्रबल भावनाएं लिये
बड़ी तीव्रता से
इंतजार में रहते हैं,
गांव के कोने में
डरे हुये
किसी की जमीन पर
टूटी झोपड़ी में रहते हैं,
उन्हें पापा का
सहारा नजर आता है
मां बच्चों के सहारे जीती है
पापा दोनों के लिये जीता है
इसी तरह से
वहां कई पीढ़ियां गुजर रहीं हैं।।

सियासी मियार की रिपोर्ट