अमेरिकी प्रशासन ने दूरगामी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री मोदी को राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किया..

वाशिंगटन, 25 मई। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने द्विपक्षीय संबंधों में ”कुछ मौजूदा चुनौतियों” के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगले महीने आधिकारिक राजकीय यात्रा पर दूरगामी रणनीति के तहत आमंत्रित किया है।
भारत संबंधी मामलों के एक जाने माने विशेषज्ञ का यह मानना है।
प्रधानमंत्री मोदी बाइडन और अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर जून में अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा करेंगे। बाइडन और प्रथम महिला 22 जून को एक राजकीय रात्रिभोज में मोदी की मेजबानी करेंगे।
‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में अमेरिका-भारत नीति अध्ययन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ सलाहकार रिक रोसो ने कहा, ”यह (प्रधानमंत्री मोदी को आधिकारिक राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किए जाते) देखना कमाल की बात है।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका में भारत को लेकर स्थिति थोड़ी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा, ”इसका एक कारण भारत का, यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर कोई कड़ा रुख अपनाने से बचना है। अमेरिका में कई लोगों के लिए यह निर्णायक क्षण बन गया, लेकिन बाइडन प्रशासन के लिए ऐसा नहीं है। उसने दूरगामी रणनीति के तहत यह कदम उठाने का फैसला किया है।”
रोसो ने कहा कि बाइडन प्रशासन को यह एहसास है कि इन संबंधों का रणनीतिक महत्व अमेरिका के साथ भारत के प्रगाढ़ होते वाणिज्यिक संबंध हैं।
उन्होंने कहा, ”चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, कुछ और खतरनाक क्षेत्रों में अमेरिका के साथ साझेदारी अहम है। इसलिए, शीर्ष स्तर पर, यह इस बात का संकेत है कि रूस और अन्य मामलों पर कुछ चुनौतियों एवं कुछ विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हम आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।”
रोसो ने कहा, ”भारत जी-20 की बैठक कर रहा है। आपने अभी क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) में हिस्सा लिया।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका में हर दल की सरकार में विभिन्न प्रशासन के तहत भारत और अमेरिका के संबंध अच्छे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन इन संबंधों को वाणिज्य और सुरक्षा, दोनों ही क्षेत्रों में आगे नए स्तर पर ले जाना चाहता है।
रोसो ने कहा कि दो मामलों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ”इनमें से एक है- भारत में वीजा संबंधी साक्षात्कार के लिए इंतजार का लंबा समय और यह समस्या हालिया सप्ताह में और बढ़ी है। इससे लोगों के बीच आपसी संबंधों पर असर पड़ रहा है।”
रोसो ने कहा कि दूसरा क्षेत्र जिस पर काम करने की आवश्यकता है, वह वाणिज्यिक मोर्चा है।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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