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शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर विशेष : पाठशालाओं में गुरूजी पढ़ाते हैं नफ़रत…

शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर विशेष : पाठशालाओं में गुरूजी पढ़ाते हैं नफ़रत…

*दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से एक चौंकाने वाली खबर आई है। जिसमें एक स्कूल टीचर ने धर्म विशेष के छात्र से कहा कि वह पाकिस्तान चला जाय।शिक्षिका पर आरोप है कि यह बात उन्होंने तब कहीं जब दो समुदाय विशेष के बच्चे आपस में लड़ रहे थे तो उन्होंने एक समुदाय विशेष के लिए गलत टिप्पणी किया। यह घटना राज्य के शिमोग्गा जिले की है। विवाद बढ़ने पर संबंधित महिला शिक्षक का तबादला कर दिया गया है। शिक्षिका के खिलाफ जांच रिपोर्ट आला अधिकारियों को सौंप गई है।

  • उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक निजी स्कूल का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें शिक्षिका पर आरोप था कि वह धर्म विशेष के एक छात्र को दूसरे छात्रों से थप्पड़ मरवा रहीं थी। पीड़ित छात्र फूट-फूट कर रो रहा था, लेकिन शिक्षिका का दिल नहीं पसीजा। वैसे शिक्षिका का आरोप था कि वीडियो को तोड़मरोड़ कर वायरल किया गया था। यह वायरल वीडियो राजनीति का मुद्दा भी बन था जिस पर राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए थे।
  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी-चौरा से एक और घटना मिडिया में आई है। जहां एक स्कूल हेड मास्टर नशे की हालत में पाए गए। जिलाधिकारी ने जांच का आदेश दिया। एसडीएम की जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सम्बंधित शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
  • झारखंड के दुमका में एक आवासीय विद्यालय में हेडमास्टर और वॉचमैन पर आरोप लगा कि लड़कियों से छेड़छाड़ करते थे। खबरों के मुताबिक आवासीय छात्राओं का आरोप है कि हेडमास्टर अश्लील वीडियो दिखाकर छात्राओं को छेड़ते थे। यह भी आरोप है कि वह नशे का भी सेवन करते थे। इस मामले की जांच के बाद घटना तथ्यगत पाई गईं। आरोपी शिक्षक के खिलाफ प्राथमिक की दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
    आलेख में उल्लेखित इस तरह की घटनाएं हाल की हैं। पिछले दिनों मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आयीं हैं। 05 सितंबर को देश शिक्षक दिवस मनाएगा। क्या यही शिक्षक हमारे आदर्श होंगे। फिलहाल हम इसकी व्यक्तिगत रूप से पुष्टि नहीं करते हैं। लेकिन अगर ऐसी घटनाएं वास्तविक है तो यह चिंता का विषय है। अधिकांश घटनाओं में दोषी शिक्षकों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की गई है या फिर जैसा कि मीडिया में बताया गया है जांच चल रहीं है। यह तो सिर्फ उदाहरण हैं। मुस्लिम शिक्षा संस्थान मदरसों की शिक्षा पर भी सवाल उठते हैं। उन पर भी आरोप है कि धर्म आधारित शिक्षा में मासूम बच्चों के दिमाग में जाति-धर्म की नफरत भरी जाती है। मदरसे भी विवाद के केंद्र हैं। देश में हर रोज इस तरह की अनैतिक और जघन्य घटनाएं घट रहीं हैं। अगर मीडिया में आए यह तथ्य और कथ्य सही हैं तो निश्चित रूप से हमारे सामने यह बड़ी चुनौती है। फिर हम ऐसे शिक्षकों से क्या उम्मीद कर सकते हैं। हम चाँद उतर रहें हैं और सूर्य पर यान भेज रहें हैं। लेकिन सोच से हम कितने पिछड़े हैं।
    गुरु शब्द स्वयं में पूर्ण है। गु का मतलब अंधकार और रू का मतलब प्रकाश अर्थात हमें ज्ञान के प्रकाश से जो हमारी अज्ञानता को मिटा कर ज्ञान का प्रकाश देता है वही हमारा सच्चा गुरु है। गुरु और उसका ज्ञान बहुत व्यापक है इसे हम शब्दों की सीमा में नहीं बाँध सकते हैं। गुरु हमें गढ़ता है। वह हमें शिक्षित और संस्कारित करता है। जीवन की तमाम विसंगतियों और चुनौतियों से बचने के लिए हमें शिक्षा देता है। हमारी सफलता के पीछे एक सच्चे गुरु का ज्ञान एवं मार्गदर्शन होता है। हमारे वैज्ञानिक चाँद पर जा रहें हैं तो यह कुशल गुरू की शिक्षा ही है।
    तकनीकी विकास के दौर में शिक्षक की भूमिका व्यापक हो चली है। जब हम अपने ज्ञानार्जन का शुभारंभ करते हैं तो हमारा गुरु यानी शिक्षक ही हमें ज्ञान से परिपूर्ण करता है। जैसे-जैसे हम उच्च शिक्षा की तरफ बढ़ते हैं तो हमारा मार्गदर्शक भी बदलता जाता है। लेकिन वह हमारा गुरु यानी शिक्षक ही होता है। हमें शिक्षा और संस्कार से पूर्ण बनाने वाला गुरु और माता-पिता होते हैं। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे हम शिक्षित होते गए वैसे-वैसे शिक्षा की नवीन और अधुना व्यवस्थाएं हमारे समाज में संचालित होने लगीं। लेकिन गुरु का स्थान जो कल था वह आज है और कल भी रहेगा।
    रामचरितमानस में आया है गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्पकाल सब विद्या पाई। हमारी शिक्षा पद्धति बहुत प्राचीन और परिषकृत है। शिक्षा के विकास में हमने लम्बा सफऱ तय किया है। लेकिन बदलते दौर में क्या गुरु की भूमिका बदल रही है। गुरु क्या अपनी नैतिक जिम्मेदारी से हट रहा है। गुरु क्या हमें नफरत पढ़ा रहा है। अगर ऐसा है तो सवाल उठता है कि हम कैसे समाज का निर्माण कर रहे हैं। आने वाली पीढ़ी हमारी कैसी होगी। क्या हम उसे नफरत से भर देना चाहते हैं। उसे हम अच्छी शिक्षा और संस्कार देने के बजाय विभाजन का ज्ञान क्यों बांट रहें है। क्या हमें गुरु कहलाने का नैतिक दायित्व है। हमने कभी क्या इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया।
    05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन हाल में मिडिया की सुर्खियां बनी कुछ घटनाएं हमें शर्मसार करती हैं। समाज में नफरत, जाति-धर्म, अमानवीयत और अनैतिक शिक्षा देने वाले गुरु यानी शिक्षक क्या हमारे आदर्श हो सकते हैं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या गिनतियों में हैं। हमें तो उन गुरूओं पर गर्व है जो गरीब बच्चों की फीस और शिक्षा का सारा खर्च अपनी जेब से उठाते हैं। एक अच्छी पीढ़ी के निर्माण के लिए दिनरात मेहनत करते हैं। ऐसे गुरू हमारे देश और समाज के लिए अनुकरणीय हैं। हम उन्हें प्रणाम करते हैं। वह शिक्षक ही है जो एक देश और सभ्य समाज का निर्माण करता है। वह हमारे समाज के आदर्श हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में शिक्षकों के व्यवहार की जो तस्वीर आई है वह चिंता और चिंतन का विषय है। ऐसी घटनाओं पर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाने चाहिए। समाज को विभाजित करने वाले शिक्षकों की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दोषी पाए जाने के बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए।

सियासी मीयार की रिपोर्ट