बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी तर्कसंगत सीमा को नहीं लांघ सकती: बंबई उच्च न्यायालय…

मुंबई, 13 दिसंबर। बंबई उच्च न्यायालय ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को तर्कसंगत सीमा लांघने की अनुमति नहीं दी जा सकती अन्यथा इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने मंगलवार को ऑटोमोबाइल कलपुर्जा निर्माण कंपनी ‘हिताची एस्टेमो फी’ के एक कर्मचारी की सेवा समाप्ति की व्यवस्था बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।
कंपनी के खिलाफ सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर दो पोस्ट किये जाने के बाद कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया गया था।
भड़काऊ पोस्ट डालने वाले कर्मचारी की बर्खास्तगी को रद्द करने के श्रम अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
न्यायमूर्ति जाधव ने आदेश में कहा कि ये पोस्ट नफरत भड़काने के स्पष्ट इरादे से कंपनी के खिलाफ किए गए थे और ये लोगों को उकसाने वाले थे।
अदालत ने कहा, ”ऐसे कृत्यों के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिए जाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्यों को शुरुआत में ही रोक दिया जाना चाहिए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को तर्कसंगत सीमा लांघने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि इसकी अनुमति दी गई, तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।”
पीठ ने कहा कि किसी भी मामले में, किसी तरह की घटना होने का इंतजार नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए तथा ऐसे कृत्यों को शुरू में ही रोकने की जरूरत है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal