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मौसम का सही पता लगाओ, कैरियर बनाओ

मौसम का सही पता लगाओ, कैरियर बनाओ

मौसम विज्ञान के अंतर्गत मौसम से जुड़ी कई प्रक्रियाओं और उससे संबंधित पूर्वानुमानों का अध्ययन किया जाता है, जिसमें तीन प्रमुख बिन्दुओं आकलन, समझ और मौसम के अनुमान को शामिल किया जाता है। आकलन क्रिया तापमान मापने वाले एक साधारण उपकरण जैसे थर्मामीटर, एनीमोमीटर के जरिए संपन्न होती है। अगर आप मौसम विभाग में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो पढिय़े पूरी जानकारी।

इसी तरह से सेटेलाइट द्वारा विश्व के मौसम का पूर्वानुमान लगाना संभव हो पाया है, जबकि एडवांस कम्प्यूटर एवं सुपर कम्प्यूटर से डाटा एकत्र करने का कार्य किया जाता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत मौसम, जलवायु की फिजिकल, डाइनेमिकल एवं केमिकल, सभी स्थितियों का अध्ययन किया जाता है, जो वातावरण व धरती की सतह पर घटित होती हैं। इस बेहतरीन क्षेत्र को मेटेरोलॉजी (मौसम विज्ञान) व इससे जुड़े प्रोफेशनल्स को मेटेरोलॉजिस्ट (मौसम विज्ञानी) कहा जाता है। कुछ वर्षों से नई तकनीकों के आने से मौसम का पता लगाना काफी सरल एवं रोचक हो गया है। साथ ही इसमें कई तरह के अवसर भी सामने आए हैं।

मौसम विज्ञान की शाखाएं:-

क्लाइमेटोलॉजी: इस शाखा में किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है, जो निर्धारित समय के भीतर ही किया जाता है।

सिनॉप्टिक मेटेरोलॉजी: इसमें कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात, डिप्रेशन एवं इसमें एकत्र किया जाने वाला डाटा वेदर मैप (जो कि पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है) आदि की जानकारी मिलती है।

डाइनेमिक मेटेरोलॉजी: इसमें गणितीय सूत्रों के जरिए वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। दोनों को साथ-साथ होने के कारण इसे न्यूमेरिक मॉडल भी कहा जाता है।

फिजिकल मेटेरोलॉजी: इसमें वायुमंडल के फिजिकल प्रोसेस के अलावा सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं प्रकीर्णन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि को शामिल किया जाता है।

एग्रीकल्चर मेटेरोलॉजी: इस में फसलों की पैदावार एवं उसके नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन करते हैं।

एप्लायड मेटेरोलॉजी: इसके अंतर्गत मेटेरोलॉजिस्ट किसी विशेष कार्य जैसे एयरक्राफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण पर नियंत्रण, आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एयर कंडीशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं।

बारहवीं के बाद खुलेगी राह:-मेटेरोलॉजी में कई तरह के अंडरग्रेजुएट कोर्स जैसे बीएससी अथवा बीटेक आदि शामिल हैं। कई ऐसी यूनिवसिर्टी एवं आईआईटी कॉलेज हैं, जो इससे संबंधित अंडरग्रेजुएट एवं पोस्टग्रेजुएट कोर्स संचालित करते हैं, जबकि इसमें मास्टर प्रोग्राम के तौर पर दो वर्षीय एमएससी एवं एमटेक के लिए बैचलर डिग्री होनी आवश्यक है। यदि कोई छात्र एमफिल अथवा पीएचडी का इच्छुक है तो उसे मास्टर डिग्री हासिल करना जरूरी हो जाता है।

कोर्स का प्रारूप:-मेटेरोलॉजी से संबंधित कुछ कोर्स एवं उसके लिए आवश्यक योग्यता निम्न है-
बीएससी इन मेटेरोलॉजी (तीन वर्ष)
योग्यता: 10$2 (विज्ञान वर्ग)

एमएससी इन मेटेरोलॉजी (दो वर्ष)
योग्यता: बीएससी इन फिजिक्स/केमिस्ट्री अथवा विज्ञान से संबंधित कोई शाखा।

डिप्लोमा इन मेटेरोलॉजी एंड एटमॉसफेरिक साइंस (एक वर्ष) योग्यता: एमएससी इन मेटेरोलॉजी
बीटेक मेटेरोलॉजी/ एटमॉसफेरिक साइंस (चार वर्ष)
योग्यता: 10$2 (विज्ञान वर्ग)

एमटेक मेटेरोलॉजी/ एटमॉस्फेरिक साइंस (दो वर्ष)
योग्यता: बीटेक या एमएससी इन मेटेरोलॉजी

पीएचडी इन मेटेरोलॉजी/ एटमॉसफेरिक साइंस (तीन वर्ष)
योग्यता: मास्टर डिग्री इन मेटेरोलॉजी/एटमॉस्फेरिक साइंस

आवश्यक स्किल्स:-
-मजबूत कम्युनिकेशन स्किल्स
-नेचुरल व फिजिकल साइंस की जानकारी
-लॉजिकल, प्रॉब्लम सॉल्विंग व क्रिटिकल थिंकिंग का गुण।

कैरियर की संभावनाएं:-मुख्यत: जॉब गवर्नमेंट सेक्टर में मिलती हैं। हालांकि कुछ प्राइवेट कंपनियां भी एटमॉसफेरिक साइंटिस्टों को पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए रखती हैं। किसी देश की मिलिट्री भी एयरोप्लेन फ्लाइट्स, मिसाइल लॉन्चिंग एवं शिप मूवमेंट आदि में मौसम संबंधी सूचना को वरीयता देती हैं तथा उसी के आधार पर कार्यक्रम तय करती हैं। स्पेस सेंटर में भी किसी सेटेलाइट की लॉन्चिंग के दौरान मौसम को जानने के लिए मेटेरोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाती है। पूरे भारत में इंडियन मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की शाखाएं हैं, जिसमें मेटेरोलॉजिस्ट की डिमांड होती है।

सेलरी पैकेज:-मेटेरोलॉजिस्ट अथवा साइंटिस्ट की सेलरी उसकी योग्यता एवं अनुभव पर निर्भर करती है। यदि आप क्षमतावान, अतिरिक्त नॉलेज एवं अनुभव रखते हैं तो आप विदेश में भी नौकरी पा सकते हैं, जिसमें सैलरी की कोई निश्चित सीमा नहीं रहती।

कोर्स कराने वाले संस्थान:-
भरतियार यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर
पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला
कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कोचीन,
आईआईटी, दिल्ली,
इंडियन इंस्टीट्य़ूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी, पुणे

सियासी मियार की रीपोर्ट