ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल आज, जानिए हनुमानजी की पूजा विधि और मंत्र..

बड़े मंगल के दिन हनुमानजी की पूजा का खास महत्व है। यह तिथि उन्हें प्रसन्न करने के लिए शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बड़े मंगल या बुढ़वा मंगल पर बजरंगबली को सिंदूर अर्पित करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। ज्येष्ठ मास में उनकी पूजा का महत्व अधिक बढ़ जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी भगवान श्रीराम से पहली बार ज्येष्ठ माह में मंगलवार को ही मिले थे, इसलिए ये दिन और भी अधिक खास हो जाता है।
इस बार भी ज्येष्ठ माह में 4 मंगलवार पड़ रहे हैं और इस माह के हर मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद शुभ है। इस दिन बजरंगबली की आराधना करने से हर समस्या का निवारण होता है। इस दौरान पूजा में उनके कुछ मंत्रों का जाप करने से दुख, दर्द, पीड़ा से मक्ति मिलती है और मन शक्ति से भर जाता है। वहीं इस बार दूसरा बड़ा मंगल 4 जून 2024 को है। इस दिन पूजा करने के लिए सही पूजा विधि का चयन करें। इससे शुभ फलों की प्राप्ति के साथ-साथ वीर बजरंगी प्रसन्न होते है। आइए हनुमानजी की पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।
हनुमानजी की पूजा विधि
बडे मंगल के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इस दौरान हनुमानजी के मंत्रों का जाप करते रहें। फिर उन्हें रोली का तिलक लगाएं, अक्षत लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। फिर सभी सामग्री चढ़ाते रहें। बाद में बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। यह उनके प्रिय है। इन सभी के बाद आप हनुमानजी की आरती करें। ऐसा करने से वह प्रसन्न होते हैं।
हनुमान जी के मंत्र
भय नाश करने के लिए हनुमान मंत्र
हं हनुमंते नम:।
स्वास्थ्य के लिए मंत्र
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट दूर करने का मंत्र
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
कर्ज मुक्ति के मंत्र
ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
मनोकामना के लिए मंत्र
ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
प्रेत भुत बाधा के लिए मंत्र
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल: अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए वेब वार्ता उत्तरदायी नहीं है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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