Sunday , September 22 2024

अम्बा – कहानी – मिन्नी शर्मा..

अम्बा – कहानी – मिन्नी शर्मा..

“ अम्मा…. अम्मा चिल्लाती हुई छः साल की गुड्डी खेतों में काम करती अपनी मां की और दौड़ती हुई आ रही थी। गुड्डी तेज़ी से भागती हुई अपनी मां के पास पहुंची और उससे लिपट कर कहने लगी, “ अम्मा, पीछे झुमरी की अम्मा आती दिख रही है क्या तुझे?”

गुड्डी की बात सुनकर उसकी अम्मा बोली, “रे, क्या कर के आई है तू अब?”

“ पहले बताओ, पीछे आती तो न दिख रही है?” गुड्डी ने अपनी मां से लिपटते हुए पूछा।

“नहीं है कोई। ” कहती हुई उसकी अम्मा ने उसे अपने गले से हटाया और पूछा, “ क्या कह कर आई है तू झुमरी की अम्मा को ?”

“ अम्मा, झुमरी की अम्मा ने झुमरी के लिए अभी तक खाना नहीं बनाया। पता है, इसीलिए वो खेलने को भी ना आ पाई। सो रही थी उसकी अम्मा तो मैंने तो कह दिया, तेरी मां तो आलसी है। मेरी मां को देख कितना काम करती है। सोती भी नहीं तेरी मां की तरह। मेरा खाना बना के खेत पे जाती है। मेरी बातें सुनकर उठ गई उसकी अम्मा और मुझे मारने को दौड़ी। मैं भी भाग कर तेरे पास आ गई। पीछे रह गई होगी। अब मेरे जितना तेज़ तो न भाग पाएगी वो आलसन। ” गुड्डी इतराती हुई बोली।

“ न गुड्डी, बड़ों के लिए ऐसी बातें न करते हैं। अरे बीमार वीमार होगी उसकी मां इसलिए हो गई होगी। तू अब से किसी को ऐसे नहीं बोलेगी। समझी। ” गुड्डी की अम्मा ने प्यार से उसके माथे पर पड़े छोटे छोटे बालों को ऊपर की और संवारते हुए कहा।

“ ठीक है अम्मा। तू कहती है तो। अम्मा, मैं भी तेरे साथ काम कराऊं। ”

न मेरी प्यारी गुड़िया। तू मेरी तरह खेत में काम न करेगी। तू तो बड़ी अफसर बनेगी। तू घर जा और जाकर अच्छे से पढ़ाई कर। ”

“ अम्मा, अफसर तो मैं हूं ही। सारे लोग ये ही कहते हैं कि बड़ी अफसर बनती है। ” गुड्डी की इस बात पर उसकी मासूमियत पर उसकी अम्मा मुस्कुराती है पर वो लगातार बोलती जा रही थी – पर इतना काम तू अकेले क्यों करती है। मैं भी तो हूं न। ”

“ ये काम तो कुछ भी नहीं। मैं तो इससे ज्यादा काम कर सकती हूं अपनी गुड्डी के लिए। ”

आ और मैं तेरे लिए क्या करूं अम्मा ?

“ तू मेरे लिए घर जाकर अच्छे से पढ़ाई कर और अपनी लाडो गैया का ध्यान सांझ तो हो ही गई है। मैं थोड़ी देर तक आ जाउंगी। चल जा। ”

“ अच्छा अम्बा, मेरी प्यारी अम्मा। मैं चलती हूं। तू भी जल्दी आ जाओ। ”

हट बदतमीज़, अपनी मां का नाम लेती है। शर्म नहीं आती तुझे।

“ अम्मा ये तुम्हारा वो वाला नाम नहीं है। ” कहती हुई गुड्डी घर की तरफ चल दी।

गुड्डी को अपनी मां पर बहुत गर्व है क्योंकि उसकी मां सबसे अलग है। उसके बाबा नहीं हैं इसलिए उसकी मां सबके बाबा की तरह खेत में काम भी करती है। और उसकी मां को तो पढ़ना भी आता है। वो गीत लिखती है और रात को उसे गाकर भी सुनाती है। गुड्डी यही सब लोगों को अपनी मां के बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताती रहती है और बाकी बच्चों को चिढ़ाती रहती है।

गुड्डी को घर जाते जाते रास्ते में झुमरी मिल गई। गुड्डी बोली, “ अरे झुमरी, खाना खा लिया तूने या तेरी अम्मा फिर से खाने की जगह खर्राटे बना रही है। ”

“ बना दी, अम्मा ने रोटी, गुड्डी। और मैंने खा भी ली अम्मा ने मुझे बहुत डांटा। तेरे घर जाने के को मना कर दिया। इसीलिए मैं मीना के घर खेलने जा रही हूं। तू भी चल”। झुमरी बोली।

“ न झुमरी, मां ने कहा है कि मैं घर जाकर पढूं। इसीलिए मैं घर पढ़ने जा रही हूं। तुझे भी पढ़ना है तो चल। ”

“ छोड़ गुड्डी, बाद में पढ़ लेना। अभी मेरे साथ खेलने चल। तेरी मां को कौन सा पता चलेगा। वो तो खेत में काम कर रही होगी न।

“ हट झुमरी, मैं अपनी मां की सारी बातें मानती हूं। मेरी मां मुझसे कितना प्यार करती है। कितना काम करती है। कुछ पता है ? मेरी अम्बा है प्यारी सी। मैं उसकी एक भी बात नहीं टालती। मैं खेलने न जा रही तेरे साथ पहले ही तूने इतना टाइम बर्बाद कर दिया मेरा। अब मैं घर जाकर पढ़ूंगी। फिर अम्मा तक कर आती है तो पैर भी दबाती हूं न उसके। फिर हम दोनों रात का खाना पकाएंगे, खाएंगे, गैया को खिलाएंगे। फिर मेरी अम्मा रात को मुझे गीत भी सुनाती है। और पता है तुझे, मैं अपनी अम्बा के लिए गीत लिखने की सोच रही हूं। आज लिखूंगी फिर कल तुझे भी सुनाऊंगी। ठीक”।

“ ऐ गुड्डी, तू अपनी मां का नाम क्यों लेती है? पहले ये बता तो। वैसे तो बड़ी मां की आज्ञाकारी बनती है और मां को नाम से बुलाती है। बता?

“झुमरी तुझे पता नहीं ये अम्मा का वो वाला नाम नहीं है। अम्बा का मतलब है ‘ अम्मा और बाबा ‘। मेरी मां मेरी अम्मा भी है और बाबा भी। इसलिए ‘अम्बा’। समझी। ” कहती हुई गुड्डी अपने घर की तरफ चल दी।

झुमरी वहीं खड़ी खड़ी सोच रही थी किसी की मां उसकी अम्मा और बाबा कैसे हो सकती है। अम्मा तो अम्मा होती है और बाबा, बाबा। पागल है गुड्डी। मुझे बेवकूफ बनाती है। “इसकी अम्मा से शिकायत करुंगी इसकी” बड़बड़ाती हुई झुमरी मीना के घर खेलने के लिए चल दी।