जो मेरा पता जानते…..
-सुशील यादव-
खून के घूट पीते !नहीं जहर का, जायका जानते
भटकते क्यूं भला शहर में, जो मेरा पता जानते
लोग हाथो उठाए फिरते हैं, मुझे रात दिन जान लो
न फतवे को दिल उतारते, महज वे मशवरा जानते
फूल की महक होती, बगीचे खुशगवार होते यहां
कीट-पतंग के बन रहनुमा, तितलियां पालना जानते
कौन ये रात दिन फूकता है, बिगुल आशनाई का अभी
चोट जो खाए होते इधर,तो सही रास्ता जानते
ता-कयामत तेरा इंतिजार, हम को भी वजन सा लगे
हम सुशील हर वो पाप धोते, चुनाचे खता जानते।।
सियासी मियार की रीपोर्ट