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महिला हैं और अकेले घूमने का प्लान है तो जरूर जानें सोलो ट्रैवलिंग की ये चुनौतियां..

महिला हैं और अकेले घूमने का प्लान है तो जरूर जानें सोलो ट्रैवलिंग की ये चुनौतियां..

-अलका ‘सोनी’-

पिछले कई वर्षों से सोलो ट्रैवलिंग का क्रेज काफी बढ़ा है। अब केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी सोलो ट्रिप पर जा रही हैं। लेकिन सोलो ट्रिप की कुछ दिक्कतें भी हैं। क्या आपके दिमाग में भी अकेले यात्रा करने में आने वाली कठिनाइयां और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बनी रहती हैं?

पति के साथ अंडमान टूर पर गई प्रीति के लिए जर्मन टूरिस्ट मटिल्डा से मिलना किसी अचरज से कम नहीं था। बातचीत के क्रम में प्रीति को उसने बताया कि वह अंडमान सोलो ट्रैवलिंग के लिए आई है। उसके पति और बच्चे जर्मनी में ही हैं। यह पूछने पर कि वह अकेले कैसा महसूस कर रही है? उसका जवाब था, “मैं एंजॉय कर रही हूं। मुझे समुद्र पसंद है। भारत पसंद है।” प्रीति मुस्कुराकर तब उसकी बातें सुन रही थी, क्योंकि वह ऐसे माहौल से थी, जहां लड़कियों और महिलाओं को कहीं जाना हो तो घर वालों के साथ ही जाना होता है। ऐसे में सोलो ट्रैवलिंग की बात ही दूर थी।

लेकिन आज जमाना तेजी से बदल रहा है। लड़कियां आत्मनिर्भर हो रही हैं। उनकी यह आत्मनिर्भरता केवल पैसे कमाने तक ही सीमित नहीं रह गई है, वे आज मान्यताओं और बंधनों को भी तोड़ रही हैं। उनका मानना है कि हर उस चीज पर उनका हक है, जो आमतौर पर लड़कों के वर्चस्व के अंदर आती है। सोलो ट्रैवलिंग भी उनमें से ही एक है। सोलो ट्रैवलिंग का मतलब होता है, ‘अकेले यात्रा करना’, जो कि बेहद रोमांचक अनुभव होता है। लेकिन लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए ‘सोलो ट्रैवलिंग’ कितना सुरक्षित और रोमांचक होती है, यह इस सिक्के का दूसरा पहलू है, खासकर भारत में।

आउटलुक ट्रैवलर और सर्वे कंपनी टोलुना ने भारत में महिलाओं के यात्रा पैटर्न और अपने अनुभवों को बेहतरीन बनाने के लिए ‘वे क्या चाहती हैं?’ प्रश्न पर सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं यात्रा से पहले निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहती हैं। हालांकि अचरज की बात है कि 10 में से 8 उत्तरदाताओं का कहना है कि सोलो ट्रैवलिंग परिवार द्वारा लिए निर्णयों पर ही निर्भर करती है, क्योंकि महिलाओं की सोलो ट्रैवलिंग में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उनकी सुरक्षा को लेकर ही उठता है।

जेएनयू के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. आशीष कुमार कहते हैं,

“छुट्टियों और पर्यटन के लिए अकेले यात्रा करना अब भी काफी हद तक शहरी, लैंगिक और वर्ग आधारित घटना है। भारत में पर्यटन उद्योग ने देश के सकल घरेलू उत्पाद में 5.8 प्रतिशत (178 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का योगदान किया है। इस दृष्टिकोण से यह क्षेत्र बहुत आशाजनक है, अगर हम इसे नीतिगत रूप से महिलाओं के लिए अधिक आकर्षक बना सकें।”

सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में महिलाओं की सोलो ट्रैवलिंग को प्रभावित करने वाले कुछ उल्लेखनीय कारण हैं, जिनको समझना जरूरी है।

सुरक्षा करती है सबसे ज्यादा प्रभावित

भारत में महिलाओं का सोलो ट्रैवलिंग न करने का सबसे बड़ा कारण है- असुरक्षा। कई महिलाएं एकल यात्रा करने से हिचकिचाती हैं, क्योंकि उन्हें असुरक्षा का भय होता है। त्वरित और उत्तरदायी पुलिस व्यवस्था तथा प्रौद्योगिकी के रचनात्मक उपयोग द्वारा हमारे देश को अकेली महिला यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित स्थान बनाया जा सकता है। हालांकि सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह रही कि 18 से 24 वर्ष की आयु की 347 एकल महिला यात्रियों में से 56 सुरक्षा की दृष्टि से सोलो ट्रैवलिंग के लिए धर्म स्थलों और तीर्थ स्थलों को प्राथमिकता देती हैं, न कि रोमांचक एवं खतरों से भरी यात्राओं को। यह संख्या कुल सर्वेक्षण का 16 प्रतिशत थी। इसके अलावा केदारनाथ और तिरुपति ने सोलो ट्रैवलिंग में महिलाओं के लिए क्रमशः 35 प्रतिशत और 31 प्रतिशत वोट प्राप्त करके आध्यात्मिक स्थलों में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।

सामाजिक दृष्टिकोण

भारतीय समाज में एकल महिला यात्रा को लेकर पारंपरिक दृष्टिकोण अब भी वैसा है, जैसा हमेशा से रहा है। कई बार परिवार और समाज का समर्थन न मिलना भी इसमें एक बाधा बनता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि समाज में यह माना जाता है कि महिलाओं को अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिए। उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ ही यात्रा करनी चाहिए। लेकिन आज की आत्मनिर्भर महिलाएं सोलो ट्रैवलिंग को सशक्तीकरण का माध्यम मानती हैं। इसके माध्यम से वे नई जगहों और संस्कृतियों को जानती हैं और अपनी क्षमताओं तथा आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं।

आर्थिक स्वतंत्रता

आर्थिक स्वतंत्रता भी एक महत्वपूर्ण कारण है। जिन महिलाओं के पास वित्तीय स्वतंत्रता है, वे आसानी से यात्रा कर सकती हैं, क्योंकि यात्रा के दौरान कई अप्रत्याशित खर्चे आते हैं, जैसे कि अतिरिक्त शुल्क, नई जगह पर जाने के लिए टैक्सी का खर्च या किसी गतिविधि का खर्च। इसलिए जब कोई आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होता है तो वह अपनी यात्रा के हर पहलू पर स्वतंत्र निर्णय ले सकता है, जैसे कि यात्रा का समय, स्थान, परिवहन के साधन, आवास आदि, जो आपको मानसिक सुकून देता है।

सही जानकारी और संसाधन

सही जानकारी और संसाधनों की उपलब्धता भी यात्रा को प्रभावित करती है। इंटरनेट, गाइड बुक्स और ट्रैवल ब्लॉग जैसे संसाधनों की उपलब्धता सोलो यात्रियों को उनके गंतव्य, स्थानीय संस्कृति और गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद करती है। हालांकि महिलाएं खराब स्थितियों में बहुत जल्दी परेशान हो जाती हैं, इसलिए भी वे अकेले किसी ट्रिप पर जाने से बचती हैं। लेकिन अनुवाद एप्स और ऑनलाइन भाषा संसाधन सोलो यात्रियों को स्थानीय भाषा की मूल बातें सीखने और संचार में मदद करते हैं, जिससे यात्रा आसान हो जाती है।

कुछ मुसीबतें बिन बुलाए आती हैं

भोपाल की रहने वाली नम्रता नागर एक सोलो ट्रैवलर हैं। वह कहती हैं,

“अगर कोई महिला अपने शहर में निजी कार्यों के लिए आत्मनिर्भर है तो उसे सोलो ट्रैवलिंग में ज्यादा मुश्किलें नहीं आतीं, क्योंकि उसे किसी भी काम के लिए अकेले निकलने की आदत होती है। आज हमारा देश हर कोने से परिवहन से जुड़ चुका है, इसलिए इससे संबंधित मुश्किलें भी नहीं आती हैं। हां, कुछ अन्य बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे कि अकेली लड़की को लोग थोड़ी हैरानी के साथ देखते हैं, जिससे उसे असहजता होती है। इसलिए आपको इन सबसे डील करने की भी आदत होनी चाहिए। कुछ लोग तो घूमते बाद में हैं, सोशल मीडिया पर पोस्ट पहले करते हैं। आपको इन सबसे बचना चाहिए, क्योंकि अपनी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करने से आप मुश्किलों में पड़ सकती हैं। वहीं, आपको रुकने के लिए होम स्टे का चयन करना एक सुरक्षित उपाय होता है, जिसका अनुभव मैंने मेचुका भ्रमण के दौरान किया था। कई जगह अकेली लड़की को होटल में रूम नहीं मिलता है। ऐसे में होटल वाले की अपने माता-पिता से बात करा कर आप उसे विश्वास में ले सकती हैं।”

सोलो ट्रैवल करना आसान नहीं है, क्योंकि कुछ मुसीबतें बिन बुलाए ही आ जाती हैं, लेकिन बस कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप यात्रा को सुखद बना सकती हैं।

आरामदायक कपड़े

आरामदायक कपड़े का मतलब यह नहीं है कि आप शॉर्ट्स को टाइट टॉप के साथ पहन लें। सोलो ट्रैवलिंग के दौरान इस तरह की ड्रेस पहनना उचित नहीं है। इसलिए ढीले सूती कपड़े, जो मौसम के हिसाब से हों, पहनना ही सबसे बेहतर होता है।

होम स्टे चुनाव

जब आप अकेले यात्रा पर हों तो होम स्टे लें। इससे आपके अनुभव को एक व्यक्तिगत स्पर्श मिलता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही आपको कोई सहयोगी मिल गया है।

सुरक्षा से समझौता नहीं

पैसे बचाने के चक्कर में सबसे सस्ता कमरा बुक करने की कोशिश आपके लिए काफी महंगी पड़ सकती है और आप मुसीबत में पड़ सकती हैं। इसलिए सुरक्षा से कोई समझौता न करें।

सरप्राइज का चक्कर

अपनी यात्रा को बहुत सरप्राइजिंग बनाने की कोशिश न करें। उसे गुप्त रखने के बजाय किसी मित्र या परिवार के सदस्य को अपनी यात्रा योजनाओं से अवगत कराएं। फ्लाइट, ट्रेन या बस बुक करते समय ऐसे विकल्प चुनें, जो आपको दिन के उजाले में गंतव्य तक पहुंचाएं।

शेयरिंग में न जाएं

अगर आप टैक्सी या रिक्शा में अकेली हैं और ड्राइवर शेयरिंग की बात करे तो मना कर दें। अगर वह सहमत नहीं है तो कोई दूसरी टैक्सी/रिक्शा ले लें।

यह ठीक है कि भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। यहां धूल, भीड़ और शोर है। इसके बावजूद हमारा देश ‘अतिथि देवो भव’ की अवधारणा का पोषक है। एकाध उदाहरणों को छोड़ दें तो महिलाओं को अकेले यात्रा करने में भी बहुत परेशानी नहीं होती है। तभी तो मटिल्डा और अंजा डंकल की तरह अनेक महिला पर्यटक यहां आती हैं।

फोटो और सेल्फी के झमेले

महिलाएं फोटो लेने में अपना आधा ट्रिप खराब कर देती हैं। इस बात से तो खुद महिलाएं भी सहमत हैं। वहीं, हमारे देश में विदेशी यात्रियों से प्रायः फोटो खिंचवाने के लिए अनुरोध किया जाता है। ऐसा करते हुए यह भी नहीं सोचा जाता कि वे उनके साथ सहज हैं भी या नहीं! इस तरह से अवांछित रूप से ध्यान का विषय बनना, भले ही इसका उद्देश्य दुर्भावनापूर्ण न हो, किसी के लिए भी (खासकर महिला यात्रियों के लिए) परेशानी भरा हो सकता है। हैम्बर्ग निवासी अंजा डंकल, जो हर सर्दियों में भारत आती हैं, कहती हैं, “मैं सेल्फी स्टिक लेकर इधर-उधर नहीं भागती, बल्कि मैं किसी स्थान पर होने वाले अनुभव को आत्मसात करना चाहती हूं। मैं कुछ अच्छी तो कुछ याद करने योग्य चीजों की तस्वीरें लेती हूं, लेकिन मेरी यात्रा केवल फोटो लेने में खत्म न हो जाए, इसका भी ख्याल रखती हूं।”

खुद की सुरक्षा है जरूरी

भोपाल में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की सहायक पुलिस महानिरीक्षक पल्लवी त्रिवेदी बताती हैं, यह सच है कि भारत में लिंग भेदभाव पाया जाता है। यह भी सच है कि भारत में अपराध ज्यादा है, खासकर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के मामले यहां ज्यादा हैं। फिर भी सावधानी रखकर अगर सोलो ट्रैवलिंग की जाए तो यह लड़कियों के लिए भी सुरक्षित हो सकती है।

इसमें सबसे पहले स्थान का चुनाव आता है। लड़कियां पर्यटन के लिए किसी शांत और सुरक्षित स्थान का चुनाव करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इसके साथ ही उन्हें कपड़ों में शालीनता का ध्यान भी रखना चाहिए और अनचाहे आकर्षण का केंद्र बनने से बचना चाहिए। साथ ही जब भी घूमने जाएं तो अपनी लाइव लोकेशन घर वालों को और कुछ विश्वसनीय मित्रों को शेयर करती रहें।

बिल्कुल अकेले रहने की कोशिश न करें और भीड़ का हिस्सा बनी रहें। इन सारी सावधानियां के बावजूद अगर किसी तरह की दुर्घटना होती है या होने की उन्हें आशंका होती है तो तुरंत ही नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं। आप फोन से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

इसके साथ ही आज ढेर सारे सुरक्षा उपकरण भी आ गए हैं, जिनको आप पर्स में रख सकती हैं, जैसे कि पेपर स्प्रे, छोटा-सा चाकू वगैरह। ये आपको एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। आज अगर अपराध बढ़ा है तो महिला सुरक्षा को लेकर हमारी संवेदनशीलता भी बढ़ी है। इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है, कुछ सावधानियों के साथ लड़कियां भी आराम से सोलो ट्रैवलिंग कर सकती हैं। देश का कानून हमेशा उनके साथ है।

सियासी मियार की रीपोर्ट