बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों की ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ की योजना, स्थिति तनावपूर्ण..

ढाका, 05 अगस्त । बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में झड़प में करीब 100 लोगों की मौत होने के एक दिन बाद सोमवार को भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। प्रदर्शनकारियों ने आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान किया है।
झड़पें रविवार की सुबह हुईं जब प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के बैनर तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे। अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया तथा फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे को लेकर हसीना का इस्तीफा मांग रहे हैं।
बंगाली भाषा के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रोथोम अलो’ ने बताया कि रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 99 लोगों की मौत हो गयी।
हिंसा के कारण प्राधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और पूरे देश में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
‘एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट’ ने सोमवार को अपना ‘‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’’ आयोजित करने की योजना बनायी है जिसे पूर्व में एक दिन बाद आयोजित किया जाना था।
आंदोलन के समन्वयक आसिफ महमूद ने रविवार रात को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि देश में बढ़ रही चिंताओं के बीच बुलायी गई एक आपात बैठक में यह फैसला लिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति की समीक्षा के लिए एक आपात फैसले में हमारा ‘मार्च टू ढाका’ कार्यक्रम छह अगस्त के बजाय पांच अगस्त को होगा। दूसरे शब्दों में, हम देशभर के छात्रों से सोमवार को ढाका आने का आह्वान कर रहे हैं।’’
उन्होंने आम जनता से इसमें भाग लेने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘अंतिम लड़ाई का वक्त आ गया है। इतिहास का हिस्सा बनने के लिए ढाका आइए। छात्र एक नया बांग्लादेश बनाएंगे।’’
कर्फ्यू के कारण आवामी लीग का सोमवार को नियोजित शोक जुलूस रद्द कर दिया गया है।
भारत ने बांग्लादेश में जारी हिंसा के कारण अपने सभी नागरिकों को अगली सूचना तक पड़ोसी देश की यात्रा न करने की सलाह दी है।
इस बीच, ‘यूनिवर्सिटी टीचर्स नेटवर्क’ ने तुरंत विभिन्न वर्गों और व्यवसायों के लोगों को मिलाकर एक अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार, हसीना को अंतरिम सरकार को सत्ता सौंपनी होगी।
रविवार को हुई झड़पों से कुछ दिन पहले बांग्लादेश में पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें देखने को मिली थीं जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री हसीना ने शनिवार को आंदोलन के समन्वयकों के साथ वार्ता की पेशकश की। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
सरकार में शामिल नेताओं ने पहले दावा किया था कि इस ‘‘शांतिपूर्ण अभियान’’ को जमात-ए-इस्लाम और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) द्वारा समर्थित छात्र मोर्चे ‘इस्लामी छात्र शिबीर’ ने ‘हाइजैक’ कर लिया है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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