कब्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने में विफलता बिल्डर की सेवा में कमी का मामला है: उच्चतम न्यायालय…
नई दिल्ली, 13 जनवरी । उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के तहत किसी बिल्डर द्वारा मकान में रहने योग्य ‘कब्जा प्रमाणपत्र’ प्राप्त करने में विफलता सेवा में कमी का मामला है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि यदि आवास खरीदार कब्जा प्रमाणपत्र की कमी के कारण उच्च करों और पानी के शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर होते हैं तो बिल्डर पैसे वापस करने के लिए उत्तरदायी होगा।
शीर्ष अदालत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग(एनसीडीआरसी) के एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक सहकारी हाउसिंग सोसाइटी द्वारा बिल्डर की चूक के कारण नगर निकाय प्राधिकारों को भुगतान किए गए अतिरिक्त करों और शुल्कों की वापसी की मांग को खारिज कर दिया गया था।
एनसीडीआरसी ने शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह उपभोक्ता विवाद स संबंधित नहीं बल्कि वसूली की प्रक्रिया से संबंधित मामला है।
याचिकाकर्ता सोसायटी के अनुसार, बिल्डर नगर निगम से कब्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कदम उठाने में विफल रहा। याचिका में कहा गया कि कब्जा प्रमाणपत्र नहीं रहने के कारण फ्लैट के मालिक बिजली और पानी के कनेक्शन के लिए पात्र नहीं थे।
सोसायटी के प्रयासों से प्राधिकारों ने अस्थायी तौर पर पानी और बिजली के कनेक्शन दिए। हालांकि, अपीलकर्ता सदस्यों को सामान्य दर से 25 प्रतिशत अधिक की दर से संपत्ति कर और पानी के लिए भी ऊंचे शुल्क का भुगतान करना पड़ा।
शीर्ष अदालत ने एनसीडीआरसी के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसने बिल्डर के खिलाफ सोसायटी की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्हें ज्यादा कर लेने वाले प्राधिकारों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में प्रतिवादी कब्जा प्रमाणपत्र के साथ सोसायटी को फ्लैट के स्वामित्व को हस्तांतरित करने के लिए जिम्मेदार था। प्रतिवादी द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने में विफलता सेवा में कमी है, जिसके लिए प्रतिवादी उत्तरदायी है।’’
शीर्ष अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘‘इस प्रकार, अपीलकर्ता सोसायटी के सदस्यों के ‘उपभोक्ताओं’ के रूप में अधिकार हैं कि वे कब्जा प्रमाणपत्र नहीं रहने से उत्पन्न होने वाले परिणाम के कारण दायित्व (जैसे कि मालिकों द्वारा उच्च करों और पानी के शुल्क का भुगतान) को लेकर मुआवजे के लिए अनुरोध करें।’’
नगर निकाय द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र इमारत का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जारी किया जाता है। इस दस्तावेज से पता चलता है कि सभी नियमों का पालन करते हुए इमारत का निर्माण कार्य किया गया है।
सियासी मियार की रिपोर्ट