कच्चे तेल की चोरी एवं अवैध बिक्री मामले में पाकिस्तानी सेना के सेवानिवृत्त जनरल के खिलाफ जांच शुरू….
इस्लामाबाद, 17 मार्च । पाकिस्तान के भ्रष्टाचार निरोधी निकाय ‘राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो’ (एनएबी) ने कच्चे तेल की कथित चोरी एवं अवैध बिक्री मामले में सेना के चार सितारा सेवानिवृत्त जनरल सलीम हयात और रसद संबंधी एक संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की है।
सेना के एक पूर्व अधिकारी ने इन लोगों पर कच्चे तेल का अवैध कारोबार चलाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि इसके कारण सरकारी खजाने को प्रतिदिन दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इस संबंधी याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों के मुताबिक, दो लेफ्टिनेंट कर्नल, तीन मेजर, अलग-अलग रैंक के छह सैनिक और चार नागरिक सहित कुल 17 लोग कच्चे तेल की चोरी के दोषी पाए गए थे और सेना ने 26 जनवरी, 2005 को कच्चे तेल के अवैध कारोबार के आरोप में उन्हें बर्खास्त कर दिया था।
पूर्व मेजर अकरम रजा ने 2015 में लाहौर उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि कच्चे तेल के अवैध कारोबार के चलते सरकारी खजाने को प्रति दिन दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और सेना ने इस मामले में कई सैन्य अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था।
खुद को बेकसूर बताते हुए रजा ने दावा किया था कि वह उन अधिकारियों में शामिल नहीं हैं, जिन्हें बर्खास्त किया गया था। उन्होंने खुद को वह शख्स बताया था, जिसने कच्चे तेल की चोरी एवं अवैध बिक्री के बारे में बताया था और जिसे बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया गया था।
याचिका में रजा ने कहा कि उन्होंने घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई, लेकिन राष्ट्रीय रसद प्रकोष्ठ (एनएलसी) के अधिकारी उन पर तेल माफियाओं के साथ सहयोग करने के लिए दबाव बनाते रहे और इनकार करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
रजा ने कहा कि इसके बाद उन्होंने एनएबी के अध्यक्ष का रुख किया।
लाहौर उच्च न्यायालय में रजा की याचिका पर सुनवाई के दौरान 25 सितंबर, 2019 को न्यायमूर्ति शाहिद महमूद अब्बासी और न्यायमूर्ति तारिक अब्बासी की पीठ ने एनएबी को शिकायत पर कानून के मुताबिक आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
वहीं, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की शिकायत पर कार्यवाही न करने को लेकर एनएबी के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका पर विचार करते हुए भ्रष्टाचार निरोधी निकाय को इस धारणा को दूर करने का निर्देश दिया कि वह केवल नेताओं के पीछे पड़ी रहती है।
अपनी शिकायत में पूर्व मेजर ने कहा कि उन्होंने दिसंबर 2001 से जनवरी 2004 तक कराची में एनएलसी की परिवहन बटालियन में सेकेंड-इन-कमांड के रूप में सेवा दी थी और फिर वह 27 फरवरी, 2006 तक विभिन्न एजेंसियों की हिरासत में रहे।
रजा ने कहा कि उन्होंने एनएलसी के तत्कालीन महानिदेशक मेजर जनरल खालिद जहीर अख्तर को तेल माफियाओं की मौजूदगी के साथ-साथ 100 हीनो बसों की खरीदारी में बड़े पैमाने पर हेर-फेर होने के बारे में सूचित किया था, लेकिन उल्टे उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया।
जनरल अख्तर एनएलसी के उन तीन अधिकारियों में से एक थे, जिन्हें एनएलसी घोटाले में शामिल होने का दोषी पाया गया था।
शिकायत के अनुसार, कराची के तत्कालीन कोर कमांडर जनरल हयात ने इस मामले को अपने हाथ में लिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
पूर्व मेजर ने कहा कि दूसरी ओर जनरल हयात ने सेना का उप-प्रमुख बनने के बाद सेवा से उनकी बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी और उन पर 2.93 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
‘द डॉन’ के मुताबिक, रजा ने एनएबी अध्यक्ष से सरकारी खजाने को कथित तौर पर अरबों रुपये की चपत लगाने वाले जनरल हयात सहित अन्य एनएलसी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
सियासी मीयार की रिपोर्ट