कानून जगत के उस्ताद की राज्यसभा में नई पारी; जानिए उज्ज्वल निकम से जुड़ीं दिलचस्प बातें…

नई दिल्ली, 13 जुलाई । 26/11 आतंकी हमले के आरोपी कसाब को फांसी की सजा दिलाने वाले दिग्गज वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यभा के लिए मनोनीत किया है। उन्हें यह सम्मान कानूनी जगत में उनके बेहतरीन योगदान के लिए दिया गया है। इससे पहले भाजपा ने 2024 के लोगसभा चुनाव में उन्हें पूनम महाजन का टिकट काटकर मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब राष्ट्रपति मुर्मू ने कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान को इस खास तरह से सराहा है। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि आखिर कौन हैं उज्ज्वल निकम…
पिता भी रहे जज
उज्जवल निकम का जन्म मार्च 1953 में महाराष्ट्र के जलगांव में हुआ था। उनके पिता देवरावजी निकम भी कानूनी पेशे से जुड़े थे। उन्होंने बतौर बैरिस्टर और जज काम किया। निकम ने पुणे विश्वविद्यालय से बीएसी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
कोर्ट की सुनवाई का घटनाक्रम बताते-बताते घर-घर में बनी पहचान
निकम ने अपने कानूनी पेशे की शुरुआत 1979 में जलगांव की जिला अदालत से की। वहीं से धीरे धीरे वे सीखते रहे। बाद में उन्होंने करीब 14 साल तक टाडा अदालत में अपनी सेवा दी। उन्हें पहली बार प्रसिद्धि मिली, जब उन्हें 1993 के सीरियल ब्लास्ट मामले में लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया। 10 साल से अधिक समय बाद मामले में सौ आरोपियों को दोषी करार दिया गया। वहीं, 23 लोगों को मामले में बरी कर दिया गया। हर सुनवाई के बाद निकम कोर्ट के घटनाक्रम की जानकारी देते थे, टीवी के माध्यम से इस तरह वे घर-घर तक पहुंचे और धीरे-धीरे वे पहचाने जाने लगे।
उज्ज्वल को मिले यह सनसनी खेज मामले
हालांकि, उनके जीवन का महत्वपूर्ण केस वह रहा, जब उन्होंने 26/11 आतंकवादी हमले के एकमात्र गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया। उन्होंने देश के कई सनसनी खेज मामले में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें गुलशन कुमार हत्याकांड और शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार सहित अन्य मामलें शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, निकम अब 628 दोषियों को उम्रकैद तो 37 आरोपियों को फांसी की सजा दिलवा चुके हैं। 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
लोकसभा में मिली हार
राज्यसभा से पहले 2024 के आम चुनावों में भाजपा ने उन्हें पूनम महाजन का टिकट काटकर मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि वे जीत हालिस नहीं कर सके। जिसके बाद अब राष्ट्रपति मुर्मू ने कानून के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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