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इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में नैनोटेक्नोलॉजी पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में नैनोटेक्नोलॉजी पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।


लखनऊ, 23 सितंबर 2025। इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के विज्ञान संकाय के बायोसाइंसेज विभाग द्वारा ‘नैनोटेक्नोलॉजी फॉर पर्सनलाइज्ड एंड प्रिसिजन मेडिसिन : रीसेंट ट्रेंड्स’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन हुआ। इस दौरान देश-विदेश के प्रमुख शिक्षाविद, वैज्ञानिक वा शोधार्थियों ने भाग लिया और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी के महत्व पर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थापक एवं कुलाधिपति प्रो. सैयद वसीम अख्तर के संदेश के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. जावेद मुसर्रत, चांसलर के मुख्य सलाहकार प्रो. फुरकान क़मर, कुलसचिव प्रो. हारिस सिद्दीकी, विज्ञान संकाय के डीन प्रो. अब्दुल रहमान खान तथा रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के डीन प्रो. वहाजुल हक की गरिमामय उपस्थिति रही। मुख्य अतिथि के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की रसायन विज्ञान विभाग की प्रो. फारुख अरजमंद तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली के सेंटर फॉर नैनोसाइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी के प्रो. औरंगजेब खुर्रम हाफिज शामिल हुए।
स्वागत भाषण में प्रो. अब्दुल रहमान खान ने नैनोटेक्नोलॉजी के बदलावकारी प्रभाव और इसके शोध की विशाल संभावनाओं पर प्रकाश डाला। प्रो. फुरकान क़मर ने विज्ञान, समाज और वाणिज्य के परस्पर संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान नवाचार को जन्म देता है जिससे समाज लाभान्वित होता है और वाणिज्य उसको व्यवहारिक जीवन में लाने का जरिया बनता है। प्रो. औरंगजेब खुर्रम हाफिज ने इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों की वैश्विक पहचान का उल्लेख किया और भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं में नैनोटेक्नोलॉजी की बढ़ती ज़रूरत पर जोर दिया।
प्रमुख अतिथि प्रो. फारुख अर्जुमन ने कहा कि प्रिसिजन मेडिसिन में नैनोटेक्नोलॉजी हर मरीज के लिए विशिष्ट चिकित्सा समाधान मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि STEM, STEAM और STEAMC के एकीकरण को नवाचार और अंतर्विषयक शोध के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।
कुलपति प्रो. जावेद मुसर्रत ने अपने संबोधन में बायोसाइंसेज टीम को इस समसामयिक विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने रिचर्ड फाइनमैन के विख्यात कथन “There’s Plenty of Room at the Bottom” के हवाले से बताया कि कैसे नैनोटेक्नोलॉजी के जरिए एटम और मॉलिक्यूल स्तर पर नई थेरेपी विकसित की जा सकती है।
बायोसाइंसेज विभागाध्यक्ष प्रो. स्नोबर एस. मीर ने आए हुऐ सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में डॉ. सलमान खान, डॉ. मोहम्मद रुमान वा विभिन्न समन्वयकों और स्वयंसेवकों के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति रही।
संगोष्ठी को वैश्विक स्तर के वक्ताओं—प्रो. योगेंद्र कुमार मिश्रा (माड्स क्लॉजन इंस्टीट्यूट, डेनमार्क), डॉ. रेहान खान (इंस्टिट्यूट ऑफ नैनोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी, पंजाब) और डॉ. आशुतोष कुमार (अहमदाबाद यूनिवर्सिटी) ने संबोधित किया।

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