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लखनऊ में फोरलेन आउटर और दोहरीकरण से ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार…

लखनऊ में फोरलेन आउटर और दोहरीकरण से ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार…

लखनऊ, 18 फरवरी । राजधानी लखनऊ में फोरलेन आउटर और रेलवे लाइन के दोहरीकरण (डबलिंग) से ट्रेनों को रफ्तार मिलेगी। इससे ट्रेनों को बेवजह आउटर पर नहीं रुकना पड़ेगा और यात्रियों का समय भी बचेगा।

रेलवे बोर्ड के निर्देश पर उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों व यात्रियों का लोड कम करने के लिए बाईपास योजना बनाई है। इसके तहत उत्तर रेलवे ने लखनऊ के उतरेटिया से ट्रांसपोर्टनगर के बीच 12 किलोमीटर लम्बे एलिवेटड रूट की डबलिंग की है। पहले इस रूट पर माल गाड़ियों का संचालन होता था, लेकिन रेलवे प्रशासन ने डबलिंग कर रूट को मजबूत कर दिया है। यह बाईपास तैयार हो गया है, जिस पर माल गाड़ियों का ट्रायल बढ़ाया गया है। इस पर कुल 120 करोड़ रुपये के आसपास खर्च किया गया है। इस बाईपास से अयोध्या और रायबरेली रूट से आने वाली ट्रेनों को चारबाग स्टेशन पर लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रेनों को सीधे ट्रांसपोर्टनगर के रास्ते आगे भेजा जा सकेगा। इस रूट पर फिलहाल चारबाग और लखनऊ जंक्शन स्टेशन की करीब 29 नॉन-प्रीमियम ट्रेनों को शिफ्ट करने की योजना है।

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन के मुताबिक, लखनऊ के चारबाग से दिलकुशा और आलमनगर के बीच फोरलेन आउटर बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। बाराबंकी से मल्हौर के बीच तीसरी लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए बजट मिल चुका है। डालीगंज से मल्हौर रेलवे स्टेशन के बीच डबलिंग का कार्य किया जा रहा है। 13 किलोमीटर लम्बे रूट पर 145 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसका 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। ऐशबाग से मानकनगर रेलवे स्टेशन के बीच बाईपास का कार्य चल रहा है। 3.8 किलोमीटर लम्बे इस बाईपास पर 81 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस बाईपास के बन जाने से गोरखपुर रूट की ट्रेनों को सीधे कानपुर की ओर रवाना किया जा सकेगा और लखनऊ जंक्शन नहीं भेजना पड़ेगा। फोरलेन आउटर और डबलिंग से लखनऊ में ट्रेनों को रफ्तार मिलेगी। इससे ट्रेनों को बेवजह आउटर पर नहीं रुकना पड़ेगा और यात्रियों का समय भी बचेगा।

दरअसल, कोरोना से पहले आम दिनों में चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन करीब सवा लाख से अधिक यात्रियों और 180 ट्रेनों की आवाजाही थी। वहीं लखनऊ जंक्शन पर करीब 50 हजार यात्रियों और 45 ट्रेनों का आवागमन होता था। इससे कई ट्रेनों को लाइन नहीं मिलने की वजह से आउटर पर रुकना पड़ता है। इससे ट्रेनें लेट हो जाती हैं और यात्रियों को दिक्कतें होती हैं।

सियासी मियार की रिपोर्ट