दिल्ली के तीनों निगमों की करीब 100 से अधिक वार्ड कमेटियां 31 मार्च के बाद हुई भंग…

नई दिल्ली, 04 अप्रैल। दिल्ली के तीनों निगमों की करीब 100 से अधिक वार्ड कमेटी 31 मार्च 2022 के बाद भंग हो गई हैं। अब ना तो सदन की बैठक और ना ही स्थायी समिति की बैठक होंगी। इतना ही नहीं पार्षदों की भूमिका भी अब कॉमन मैन की तरह रह जाएगी, यह बात अलग है कि तीनों महापौर, स्थायी समिति चेयरमैन और नेता सदन का कार्यकाल 18 से 22 मई तक का है। नगर निगम के विशेषज्ञों का कहना है कि मंगलावार को राज्यसभा में एकीकृत निगम को लेकर बिल पास होता है, तो जल्द ही केंद्र सरकार निगम को चलाने के लिए स्पेशल आफिसर नियुक्त कर सकती है।
वित्त वर्ष के हिसाब से 31 मार्च 2022 को दक्षिण ,उत्तरी और पूर्वी नगर निगम की करीब 100 से अधिक वार्ड कमेटियां जिनमें सदन, स्टैंडिग कमेटी, शिक्षा कमेटी, नियुक्ति एवं अनुशानात्मक कमेटी, वक्र्स कमेटी, स्वास्थ्य कमेटी, उद्यान कमेटी, लॉ कमेटी सहित अन्य शामिल हैं उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। एमसीडी अधिनियम 1957 के मुताबिक कार्यकाल समाप्त होने पर सदन की बैठक से लेकर जोन स्तर और वार्ड कमेटियां भंग हो गई है और अब कोई मीटिंग नहीं होगी। शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं एकीकृत दिल्ली नगर निगम निर्माण कमेटी के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगांई का कहना है कि राज्यसभा में निगम के एकीकृत बिल पास होने के बाद उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने है और गजट नोटिफिकेशन के बाद जल्द ही निगम को चलाने के लिए स्पेशल आफिसर को केंद्र सरकार नियुक्त कर सकती है। स्पेशल आफिसर आईएएस अधिकारी भी हो सकता है और किसी राजनैतिक व्यक्ति को भी स्पेशल आफिसर नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन संभावना है कि आईएएस अधिकारी को यह दायित्व सौंपा जा सकता है।
एकीकृत निगम में निगम सचिव के पद पर रहे अधिकारी मदन मोहन का कहना है कि कमेटियां भंग होने के बाद पार्षदों की भूमिका अब कॉमन मैन की तरह रह जाएगी। जहां तक लोगों के कामकाज का सवाल वह सीधे जोन कार्यालय संपर्क करेंगे और कोई अधिकारी उनकी बात नहीं सुनेगा तो वह क्षेत्रीय विधायक या फिर निगम मुख्यालय में संपर्क कर करे सकेगा। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पार्षदों के रहने से अधिकारियों पर दवाब रहता है और लोगों के कार्य आसानी से हो जाते हैं।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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