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डब्ल्यूटीओ बैठक शुरूः भारत का ‘उचित, संतुलित ,विकास केंद्रित परिणाम ’ पर बल..

डब्ल्यूटीओ बैठक शुरूः भारत का ‘उचित, संतुलित ,विकास केंद्रित परिणाम ’ पर बल..

नयी दिल्ली, 13 जून भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की जिनेवा बैठक में ‘उचित, संतुलित और विकास केंद्रित परिणाम निकालने’ के लिए विकासशील और अल्प विकसित देशों को एक जुट होकर प्रयास करने और इसके लिए समान विचार वाले देशों का समर्थन जुटाने का आह्वान किया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अनाज की सरकारी खरीद और भंडार के कार्यक्रम को भारत जैसे विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा और अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए इस मसले का स्थायी समाधान निकालने तक इस पर डल्यूटीओ में विवाद न पैदा करने के निर्णय को छेड़ने या उस पर नए सिरे से वार्ता किए जाने का विरोध किया है।

डब्ल्यूटीओ की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक के पहले दिन रविवार को इन देशों के एक महत्वपूर्वण समूह की बैठक को संबोधित करते हुए भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसे वांछित परिणाम के लिए ‘खाद्यान के सरकारी भंडार के मुद्दे का स्थायी समाधान और (कृषि उत्पादों के आयात में उछाल के समय स्थानीय कृषि के बचाव के लिए) सुरक्षा के विशेष उपाय (एसएसएम) की व्यवस्था” का होना जरूरी है।

गोयल ने इंडोनेशिया द्वारा बुलायी गयी जी-33 समूह की बैठक में कहा,”इस बैठक में मेरे से पहले बोलने वाले बहुत से वक्तओं की बात से यह स्पष्ट है कि इस बार के एजेंडा में अनाज की सरकारी खरीद और सुरक्षा के विशेष उपाय, मुख्य रूप से ये दो मुद्दे हैं जिनका इस बार समाधान निकलने की प्रतीक्षा है।”

भारत ने इस बैठक में स्पष्ट किया कि देश के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम और अन्न उत्पादन में आत्म निर्भरता के लिए अनाज की सरकारी खरीद और भंडारण का कार्यक्रम महत्वपूर्ण है। गोयल ने कहा,”हम अपनी यात्रा और अपने स्वयं के अनुभवों के आधार पर इस मुद्दे पर सभी विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए मिल कर संघर्ष कर रहे हैं।”

गोयल ने कहा,”अनाज की कमी वाले देश से प्रगति कर आज अनाज के मामले में बड़ी सीमा तक आत्म-निर्भर प्राप्त करने का भारत का अपना अनुभव है। इस यात्रा में सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता और सरकारी हस्तक्षेपों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।” गोयल ने अनाज की सरकारी खरीद के कार्यक्रम को खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कि इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकलने तक इस पर विवाद नहीं खड़ा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पिछली एक नहीं तीन-तीन बैठकों में निर्णय हो चुका है। गोयल ने डब्ल्यूटीओ महानिदेशक सुश्री एनगोजी ओकोंजो-आईवेयाला की उस टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जिसमें उन्होंने इस सम्बंध में ‘ एक बार नहीं , दो बार नहीं, तीन बार हो चुके निर्णय को एक प्रक्रिया की पुनरावृत्ति मात्र बताया है।’

गोयल ने कहा कि 2013, 2015 और 2018 में इस मुद्दे पर कोई घोषणा नहीं बल्कि निर्णय हुआ था। उन्होंने जी-33 समूह के सदस्यों को इस मुद्दे पर विभिन्न बैठकों के निर्णय को उद्धरित करते हुए कहा,”मैं यह सब इस लिए कह रहा हूं कि इस बात का क्या तुक है कि इस पर नया वर्क प्रोग्राम (नयी वार्ता) शुरू किया जाए और इस 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में इसको लेकर एक नयी घोषणा हो।”

गोयल ने यह स्पष्ट किया कि अनाज के सरकारी भंडार के मुद्दे पर कोई नया वर्क प्रोग्राम स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे के स्थायी समाधान के निकालने के लिए अब तक हुई प्रगति को आगे बढ़ाया जाए और स्थायी समाधान निकलने तक इसको डब्ल्यूटीओ में विवाद का मुद्दा न बनाया जाए। वाणिज्य मंत्री ने कहा,”मैं अब भी सोचता हूं कि हम सबको इस बात को सोचना चाहिए कि जो फैसला हो चुका है उसका पालन हो और इस बार उसे शामिल किया जाए या उस पर फिर एक नयी वार्ता (वर्क-प्रोग्राम) के लिए सहमति दे कर प्रारंभिक समझौते के आठ या नौ वर्ष बाद फिर अपने को उसी जगह खड़ा कर लिया जाए जहां से हम आगे बढ़े थे।”

गोयल ने कहा कि उरुग्वे दौर की वार्ताओं के आधार पर 1994 में मरक्कश में डब्ल्यूटीओ के गठन के लिए जो समझौता हुआ, उसमें कृषि के साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। ‘जो देश बाजार खराब करने वाली सब्सिडी दे रहे थे उन्होंने कृषि पर समझौते (एओए) के तहत अपनी निर्यात सब्सिडी को सुरक्षित कर लिया। उस समय विकासशील और अल्प विकसित देश कृषि पर सब्सिडी नहीं देते थे इस लिए उन्हें भविष्य में सब्सिडी बढ़ाने का अधिकार मिला ही नहीं।

उन्होंने कहा कि ए-ओ-ए के नियम विकसित देशों के पक्ष में रहे। उनको सब्सिडी ऊंची रखने का अधिकार मिल गया। बाजार मूल्य समर्थन की गणना का फार्मूला गलत और उसी पुरानी कीमत पर अटका दिया गया। गोयल ने कहा,”हमें ही झुकने को कहा जाता है। हमें एक ही विषय पर बार बार बात करनी पड़ती है । ऐसे मुद्दों को छेड़ दिया जाता है जहां समझौता पहले ही हो चुका है।”

सियासी मियार की रिपोर्ट