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कांग्रेस ने आईटी नियमों के केंद्र के नए मसौदे का किया विरोध, इसे सेंसरशिप बताया..

कांग्रेस ने आईटी नियमों के केंद्र के नए मसौदे का किया विरोध, इसे सेंसरशिप बताया..

नई दिल्ली, 19 जनवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में संशोधन के मसौदे के लिए परामर्श अवधि को 25 जनवरी 2023 तक बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने चालाकी से एक प्रावधान जोड़ा है। इसमें कहा गया है कि कोई भी समाचार रिपोर्ट जिसे पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के फैक्ट चेकिंग यूनिट द्वारा झूठा, बेबुनियाद या नकली माना जाएगा, उसे सरकार द्वारा सोशल मीडिया/ऑनलाइन वेबसाइटों/ओटीटी प्लेटफार्मों से हटाया जा सकता है।

आगे पवन खेड़ा ने कहा कि सत्ता के अहंकार में चूर मोदी सरकार अब सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए तानाशाही रवैया अपना रही है। मोदी सरकार ने ऑनलाइन सामग्री विनियमन में न्यायाधीश, जूरी और निष्पादक की भूमिका में खुद का अभिषेक किया है। ये एक अभूतपूर्व कदम है, जिसमें ऑरवेलियन बिग ब्रदर सिंड्रोम की बू आती है। खेड़ा ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के संशोधित संस्करण के नियम 3(1)(बी)(5) में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रेस सूचना ब्यूरो को अगर कोई भी ऑनलाइन सामग्री गलत लगेगी, तो उसे अधिकृत ढंग से हटा सकती है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे बताया कि इसका सीधा मतलब है कि पीआईबी की फैक्ट चेकिंग यूनिट ऐसी सामग्री को हटाने में जज बन गई है जो शायद मोदी सरकार की छवि के अनुकूल नहीं है। यहां तक कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी नियमों में इस कपटपूर्ण प्रविष्टि के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है। केंद्र सरकार के किसी भी व्यवसाय के संबंध में इन शब्दों पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे सरकार की वैध आलोचना पर पाबंदी लगेगी और सरकार को प्रेस के प्रति जवाबदेह ठहराने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार के लिए प्रेस पर बुलडोजर चलाना कोई नई बात नहीं है। गोदी मीडिया शब्द अब अधिकांश भारतीयों के मन में घर कर चुका है और अब यह सरकार इसे गोदी सोशल मीडिया बनाना चाहती है।

सियासी मीयर की रिपोर्ट