कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में, लेकिन कमियां दूर हों पहले : खड़गे..

नई दिल्ली, 20 सितंबर। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में है लेकिन विधेयक में जो कमियां हैं उन्हें पहले दूर किया जाए। खड़गे ने बुधवार को मीडिया से कहा कि सरकार इस कानून को जनगणना, परिसीमन होने के बाद लागू करना चाहती है। ऐसे में विधेयक में जो खामियां हैं उसे दूर किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंगलवार को सोनिया गांधी ने भी कहा था कि यह हमारा विधेयक है। महिला आरक्षण विधेयक कांग्रेस सरकार लेकर आई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बीते दिनों कहा था कि कांग्रेस हमेशा महिलाओं को आरक्षण देने के पक्ष में रही है। सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। रमेश ने कहा था कि आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40 फीसदी के आसपास हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका। रमेश ने कहा था कि कांग्रेस पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।
कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में, लेकिन कमियां दूर हों पहले : खड़गे
नई दिल्ली, 20 सितंबर (वेब वार्ता)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में है लेकिन विधेयक में जो कमियां हैं उन्हें पहले दूर किया जाए। खड़गे ने बुधवार को मीडिया से कहा कि सरकार इस कानून को जनगणना, परिसीमन होने के बाद लागू करना चाहती है। ऐसे में विधेयक में जो खामियां हैं उसे दूर किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंगलवार को सोनिया गांधी ने भी कहा था कि यह हमारा विधेयक है। महिला आरक्षण विधेयक कांग्रेस सरकार लेकर आई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बीते दिनों कहा था कि कांग्रेस हमेशा महिलाओं को आरक्षण देने के पक्ष में रही है। सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। रमेश ने कहा था कि आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40 फीसदी के आसपास हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका। रमेश ने कहा था कि कांग्रेस पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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